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Friday, June 4, 2010

सोसिअल स्वैप !

पश्चिम से इम्पोर्ट किया हुआ
आइडिया है यह अपने देश में,
और दिनोदिन लोकप्रिय भी हो रहा है,
सोसिअल स्वैप बोले तो
वस्तु विनिमय केंद्र,
जहां आप घर की फालतू वस्तुवे
आसानी से डंप कर सकते है !
सुनने में आया है कि
बंगलौर में ऐसे ही एक
वोमन सोसिअल स्वैप में,
बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

और चलते-चलते:-

अपना-अपना भाग्य !

28 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

sahi hi hai, faltoo cheejon ko kyon rakha jaaye ghar me..
bahut se bacchon ko is doggi par rashq ho raha hoga..

जी.के. अवधिया said...

पश्चिम से इम्पोर्टेड आइडिया से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?

Shah Nawaz said...

:-)

बेहतरीन, बहुत खूब! पश्चिम की उपभोक्तावादी दौड़ में दौड़ते दौड़ते पता नहीं हम कहाँ पहुंचेंगे???

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...

गौदियाल जी, ध्यान रखिए कि इस आईडिये की भनक श्रीमति जी के कानों तक न पहुँचने पाए.....वर्ना कहीं ऎसा न हो कि :)

arvind said...

वोमन सोसिअल स्वैप में,
बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!...sachmuch...?...?.yadi aisa hai to pls ye baat hamaare ghar tak n pahuche.....

kunwarji's said...

पण्डित जी कि बात पर गौर करना गोदियाल जी....

और हाँ...

चलते-चलते तो आज आप गजब ढा गए...
माँ है या आंटी दिमाग को घुमा गए...

कुंवर जी,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

बहुत ही नसीबवाला कुत्ता है जी!
काश मनुष्य के बच्चों से भी ऐसा प्रेम होता!

AlbelaKhatri.com said...

सुसमाचार !

अब पतियों की कीमत बढ़ जायेगी........

संजय कुमार चौरसिया said...

is tarah ke idea, pashchim se hi aa sakte hain

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

अन्तर सोहिल said...

बच्चों को तो गोद में भी नहीं उठाते और यहां
पुराने पतियों की तो छुट्टी कभी भी हो सकती है
क्या-क्या आयडिये लाते हैं पश्चिम से

प्रणाम

M VERMA said...

अपने पतियों को साथ लाई थी !!
पर
चित्र में तो कुत्ता (??) नज़र आ रहा है

Udan Tashtari said...

हा हा!! मामला रिस्की होता जा रहा है. :)

डॉ टी एस दराल said...

चित्र बहुत बढ़िया छापा है।
बाकी तो किस्मत अपनी अपनी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:) :) ...अभी भी वर्मा जी पूछ रहे हैं की चित्र में तो कुत्ता है.... हा हा हा


भारत में ऐसा नहीं होने वाला...निश्चिन्त रहिये...

shikha varshney said...

हा हा हा ...

सुनील दत्त said...

लगता है इटालियन अंग्रेज का असर लोगों के सिर चड़ कर वोल रहा है।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
अरे पति को सर पे चढा रखा है.....:)

मनोज कुमार said...

05.06.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/

मनोज कुमार said...

गोदियाल जी आप ने तो कमाल का पोस्ट लगा दिया है।

वाह रे ज़माना! बच्ची जमीं पर कुत्ते को सर चढा लिया है।

इस तस्वीर में हमारे आज की तस्वीर झलकती है।

पश्चिम से इम्पोर्टेड आइडिया से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?

महफूज़ अली said...

पश्चिम से इम्पोर्टेड आइडिया से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?

शरद कोकास said...

अच्छा है यह हमारे यहाँ नहीं खुला ।

ajit gupta said...

नो कमेण्‍ट।

'अदा' said...

इस चित्र को देख कर मुझे हँसी नहीं आ रही है...
बच्ची पैदल चल रही है..और कुत्ता गोद में..??
वाह री ममता....तेरा जवाब नहीं....
हाँ नहीं तो..!!

Ghost Buster said...

लोग पकड़ नहीं सके पर मुझे साफ़ दिख रहा है कि ये फ़ोटो बनावटी है. अब सिर्फ़ ये बताइये कि कारस्तानी आपकी खुद की है या किसी और की?

वाणी गीत said...

:):)

अमीरों के कुत्तों की किस्मत तो वैसे ही अच्छी ही होती है ...!!

प्रवीण पाण्डेय said...

श्वानों को मिलता दुग्ध वस्त्र,
भूखे बच्चे अकुलाते हैं,
माँ की गोदी से चिपट चिपट,
जाड़े की रात बिताते हैं ।

बेचैन आत्मा said...

..बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
..यह हुई न बात नहले पर दहला.

राजेश उत्‍साही said...

आप सब लोग मुझे क्षमा करें। किस्‍मत तस्‍वीर पर मुझे तीन बातें कहनी हैं। पहली तो यह है कि अगर तस्‍वीर ट्रिक से बनाई गई है तो कुछ कहने को नहीं बचा। (मुझे ऐसा नहीं लग रहा)। दूसरी बात कि आप तस्‍वीर का गलत इस्‍तेमाल कर रहे हैं। तीसरी बात यह कि आप सबने इस बात को अनदेखा कर दिया कि यह संभव क्‍यों नहीं है। मैं समझता हूं कि कुत्‍ते के पैर में किसी वजह से कोई चोट लग गई होगी इसलिए वे उसे गोद में उठाए हुए हैं। कम से कम आज पर्यावरण दिवस के दिन तो आप सोच ही सकते हैं। हम हमेशा नकारात्‍मक ही क्‍यों सोचने में लगे रहते हैं।