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Friday, June 11, 2010

विरह गीत

मीत तुम कब आओगे,
कब तक यूं तडपाओगे,
जान बाकी है,
अरमान बाकी है,
पास कब बुलाओगे,
मीत तुम कब आओगे !
झुठलाओ न मुझे,
झूठे वादों की तरह,
ये नयन झरते है
सावन-भादों की तरह,
कब तक यूं सताओगे,
मीत तुम कब आओगे !!
दिल में आस है,
मन मेरा उदास है,
क्या तुम्हे भी
यह अहसास है,
प्यास कब बुझाओगे,
मीत तुम कब आओगे !
दिल को न अब ठौर है,
बेचैनियों का दौर है,
गर तुम ना समझो ,
ये बात और है,
मर गए तो तुम हमें
बिसरा न पाओगे
मीत तुम कब आओगे !!
यहाँ सब बेगाने है,
पास भूले-बिसरे अफ़साने है
मयखाने बैठ के भी
खाली-खाली सब पैमाने है,
विरह में कब तक रुलाओगे ,
मीत तुम कब आओगे !!!

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