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Saturday, September 18, 2010

जिन्दगी तू मुझे न थाम पायेगी !







मेरे दिल की हसरत जब, कोई मुकाम पायेगी,
सच कहता हूँ जिन्दगी, तु मुझे न थाम पायेगी।

बेवफ़ा मुसाफ़िर हूँ, चल दूंगा यूंही संग छोड्कर,
किसी मोड पर खुद को तू ही,  तमाम पायेगी॥

सरे महफिल उठ लूंगा  जब, मैं तेरे मयखाने से,
हाथ अपने साकी, खाली खाली सा जाम पायेगी।

यूं तो क़दमों को  अबतक अपने संभाले  रखा हूँ,
लडखडा गए पग जिसदिन, बहुत बदनाम पायेगी॥

नेकियों के बदले मिली, हमें तो ठोकरें ही सदा,
इनायतों के बदले तू भी कहाँ, कोई इनाम पायेगी।

संग चलने की तेरे, कोशिशे तो भरसक है 'परचेत' ,
संशय उस रोज का है, जब कभी नाकाम पायेगी॥








34 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

देख लेना जिस दिन उठ गया मै मयखाने से,
हाथो मे अपने खाली-खाली सा जाम पायेगी।

मैने तो चाहके भी कभी कोई गुनाह नही किया,
इन शरीफ़ो की बस्ती मे मगर बदनाम पायेगी॥

बहुत अच्छा लिखा है आपने...बधाई

Arvind Mishra said...

यह भी जरूर उसी पुरानी डायरी संग्रह से है :)

निर्मला कपिला said...

अच्छाइयों के बदले मिली हमें तो ठोकरें ही सदा,
नेकियों के बदले तू भला कौन सा इनाम पायेगी।
नेकियों के बदले मे भी आज कल गालियाँ ही मिलती हैं। धन्यवाद।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

bahut sundar ... bahut acchi gazzal likhi hai jindagi ki rusvaiyon par.... shubhkaamnayen

budh.aaah said...

Bahut khoob Godiyalji, I just thought I will give this a dekko, and achaa laga..

budh.aaah said...

Godiyalji,
please read a ghazal I've written today on'we even cry the same way' my regular blog.

सुनीता शानू said...

वाह बहुत सुन्दर रचना। गोदियाल भाई कैसे हैं आप? और वो काला चश्मा कहां गायब हो गया?

सुनीता शानू said...

वाह बहुत सुन्दर रचना। गोदियाल भाई कैसे हैं आप? और वो काला चश्मा कहां गायब हो गया?

shyam juneja said...

अच्छी तो नहीं कहूँगा .. सुन्दर और भावपूर्ण अवश्य है यह गजल.. अच्छी इसलिए नहीं, क्योंकि अर्थ छटा केवल नकारात्मक ट्यूनिंग लिए हुए है.
..मैने तो चाहके भी कभी कोई गुनाह नही किया,
इन शरीफ़ो की बस्ती मे मगर बदनाम पायेगी॥

शरीफों की बस्ती में इससे बड़ा गुनाह और क्या हो सकता है की कोई गुनाह ही नहीं किया :)

budh.aaah said...

Your english peoem has been written exceptionally well and only 1 word here or another in the 2nd and the 3rd para - besides that its so perfect..keep writing

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सुनीता जी , मेरा चश्मा याद रखने के लिए आपका आभार !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

श्याम जुनेजा जी , गजल पसंद करने के लिए आपका आभार, रही बात नकारात्मकता की तो आप बिलकुल सही है श्रीमान ! एक नकारात्मक इंसान नकारात्मक ( चाहे मजबूरी में ही सही ) रचनाये ही लिख सकता है !

शरद कोकास said...

बिलकुल सही है ।

mridula pradhan said...

bahut achchi lagi.

Priyanka Soni said...

बहुत सुन्दर !

Ejaz Ul Haq said...

अयोध्या फैसला भारतीय शक्ति का पुनर्जागरण है।
@ सुज्ञ जी !
आप किसी क्रियेटर को तो मानते नहीं लेकिन अवागमन को मानते हैं , ईश्वर,जोकि वास्तव में है उसे आप मानते नहीं और आवागमन,जोकि होता नहीं उसे आप मानते हैं. यह बड़ी दिलचस्प बात है सो इस पर जब भी बात होगी तो यकीनन दिलचस्प ही होगी चर्चा में आपका स्वागत है ।
@ पी सी गोदियाल जी !
राम मंदिर बनने पर हिन्दू भाई खुश हैं और हम उनके खुश होने पर खुश हैं, अयोध्या में भी हिन्दू मुसलमान खुश हैं और सारे देश में भी खुश हैं, फैसला क्या हुआ यह अहम् नहीं है अहम् बात यह है कि इतना बड़ा फैसला दोनों समुदायों ने शांति से सुना और सहजता से लिया, इस वाकये से हमारे अन्दर आत्मविश्वास पैदा हुआ दूरियां घटी नफरतें मिटी और प्रेम के अंकुर फूटे इस मुद्दे का समापन हो जाये इसके लिए दोनों समुदाय के ज़िम्मेदार लोग आपस में बातचीत कर रहे हैं. इस विषय पर उत्तेजित होना या उत्तेजित करना, व्यंग्य करना, उपहास करना, ग़ैर ज़िम्मेदारी की बात है . अयोध्या फ़ैसले पर हम खुश हैं यह जान कर आप भी खुश हो जाइये चर्चा के लिए अवागमन जैसे दार्शनिक मुद्दे बहुत हैं।
@ रविन्द्र नाथ जी !
आपने महाभारत के युद्ध में लड़कर भारतीय हिन्दुओं का भीषण संहार करने वाले राजाओं के नाम और लिख दिए होते तो आपकी बात का वज़न बढ़ जाता, साईं बाबा का मंदिर आपकी बात का जवाब है, देख लीजिये कहाँ बना है,? हिंद पाक टेंशन से पहले जिन्नाह कि तरह पांच पांडव भी दुर्योधन पर भारत का बटवारा करने का दबाव डाल रहे थे जिसे उस महान एकतावादी राजा ने नकार दिया था !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय पी.सी.गोदियालजी
नमस्कार !

बढ़िया रचना है जी , बधाई !

अच्छाइयों के बदले मिली हमें तो ठोकरें ही सदा,
नेकियों के बदले तू भला कौन सा इनाम पायेगी ?


शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...
This comment has been removed by the author.
'साहिल' said...

देख लेना जिस दिन उठ गया मै मयखाने से,
हाथो मे अपने खाली-खाली सा जाम पायेगी।

bahut khoob! umda ghazal

Umra Quaidi said...

क्या आप एक उम्र कैदी का जीवन पढना पसंद करेंगे, यदि हाँ तो नीचे दिए लिंक पर पढ़ सकते है :-
1- http://umraquaidi.blogspot.com/2010/10/blog-post_10.html
2- http://umraquaidi.blogspot.com/2010/10/blog-post.html

हरकीरत ' हीर' said...

इक बेवफ़ा मुसाफ़िर हूँ, चल दूंगा साथ छोड्कर,
किसी मोड पर तु ही अपने को तमाम पायेगी॥

अरे.......
ऐसे कैसे चल देगें ........
अभी तो हाथ जाम है ...
तौबा कितना काम है ......

Asha Joglekar said...

देख लेना जिस दिन उठ गया मै मयखाने से,
हाथो मे अपने खाली-खाली सा जाम पायेगी।
Wah kya bat hai. behatareen !

कडुवासच said...

... bahut khoob ... behatreen !!!

vijay kumar sappatti said...

bahut sundar gazal bhai saheb ..

bahut badhai ho

vijay
kavitao ke man se ...
pls visit my blog - poemsofvijay.blogspot.com

लाल कलम said...

मैने तो चाहके भी कभी कोई गुनाह नही किया,
इन शरीफ़ो की बस्ती मे मगर बदनाम पायेगी॥

बहुत अच्छा लिखा है|
बहुत सुन्दर रचना, बहुत - बहुत शुभकामना

JAGDISH BALI said...

बहुत खूबसूरत रचना

रश्मि प्रभा... said...

zindagi tu thaam n payegi ... bahut hi badhiyaa

Shabad shabad said...

सुन्दर प्रस्तुति..
नव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !

Sawai Singh Rajpurohit said...

आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं।

स्वाति said...

बहुत अच्छा...

ZEAL said...

.

अच्छाइयों के बदले मिली हमको तो ठोकरें सदा,
नेकियों के बदले भला तु कौन सा इनाम पायेगी....

A bitter truth !

.

Dimple Maheshwari said...

जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

ManPreet Kaur said...

hmmmm bouth he aacha blog hai dear...

visit my blog plz

Lyrics Mantra
Music Bol

Anonymous said...

Hey, I am checking this blog using the phone and this appears to be kind of odd. Thought you'd wish to know. This is a great write-up nevertheless, did not mess that up.

- David