Monday, May 24, 2010
यूं भी बावफा होते है लोग !
निसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
सच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
हम सोचते थे कि ये जज्बा नेमत है खुदा की, किसे पता,
वफ़ा की कस्मे खाने वाले, इस कदर बेवफा होते है लोग !
आग लगा जाते है घरों में, दनल से नफरत करने वालों के,
बेवक्त नीर बहाने वाले, उस वक्त ही क्यों दफा होते है लोग !
प्यार के खातिर सबकुछ न्योछावर करने का दम भरने वाले,
खुद का भरोसा बेच दे सरे राह,यूं भी बावफा होते है लोग!
दिल और आँख के रिश्तों की, अजब दास्तां हमने भी देखी,
नजर देखे, दिल शकूं पाए,समझदार यूं भी नफ़ा होते है लोग !
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34 comments:
वफा, खफा, जफा, दफा को बहुत ही करीने से सजाया है!
बहुत ही सुन्दर रचना है!
आग लगा जाते है घरों में, दनल से नफरत करने वालों के,
बेवक्त नीर बहाने वाले, उस वक्त ही क्यों दफा होते है लोग !
इंसान के दोगले चरित्र को उजागर करती बात, बहुत बढ़िया रचना है
निसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
सच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
nice
एक किरदारे-बेकसी है मां
ज़िन्दगी भर मगर हंसी है मां
दिल है ख़ुश्बू है रौशनी है मां
अपने बच्चों की ज़िन्दगी है मां
ख़ाक जन्नत है इसके क़दमों की
सोच फिर कितनी क़ीमती है मां
http://blogvani.com/blogs/blog/15882
बहुत गहराई लिए अल्फाज हैं | बहुत खूब |
बहुत ही सार्थक प्रस्तुती / दोगले ही दोगले हैं आज तो ,लेकिन सत्य ,न्याय और ईमानदारी पे चलने वाले को भी आज दोगला बोला जाने लगा है ,क्योकि वह अपना पराया देखे वगैर किसी की भी गलती को उसे बताता है ऐसे में उसके अपने उसे दोगला कहते हैं / निश्चय ही यह शर्मनाक है / हमारे ख्याल से इंसानियत की राह में किसी का साथ छोड़ देना ही सबसे बड़ी बेवफाई और दोगलापन है /
अति सुन्दर रचान
बहुत खूब ,बहुत बढ़िया रचना है|
हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
खफा किस बात पर हो जायेंगे लोग क्या पता !!
सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर रचना है ...
इंसान के चरित्र पर सही कटाक्ष !
बहुत खुबसुरत लगी आप की यह रचना. धन्यवाद
वाह वाह!! बहुत खूब!!
बहुत सुन्दर... वफा-जफा का संयोग..
waah
दिल और आँख के रिश्तों की, अजब दास्तां हमने भी देखी,
नजर देखे, दिल शकूं पाए,समझदार यूं भी नफ़ा होते है लोग !
bahut khoob
वाह !.......खूब लिखा है ....
Excellent !
आजकल तो आपकी नज्में.... कहर ढहा रही हैं..... बहुत ही गहराई लिए हुए सुंदर रचना....
बहुत ही लाजवाब रचना.
रामराम.
नजर देखे, दिल शकूं
wah...................wah.........
निसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
सच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
बहुत बढ़िया.
बहुत खूब
achhi ghazal hai godiyal saab ...
waise log .. "wafa" nahi hote..ta to .. "baawafa" hote hain ya "wafadar" hote hain ...qafiye ke lihaaz se baawafa hona chahiye...
ग़ज़ल के माध्यम से आपने जो कुछ भी उजागर किया है, इसके लिए बहुत शुक्रिया !!
@ स्वप्निल कुमार 'आतिश'जी, आपका शुक्रिया , आपने बहुत उत्तम बात कही ! और आपके सुझाव के हिसाब से उसे सुधार दिया है!
निसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
सच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
...vah...vah...vah.
प्यार के खातिर सबकुछ न्योछावर करने का दम भरने वाले,
खुद का भरोसा बेच दे सरे राह,यूं भी बावफा होते है लोग!
Vaah .. kya kamaal ki baat .. bahut imaandaari se likha hai ... lajawaab ..
ji bahut badhiya......
आग लगा जाते है घरों में, दनल से नफरत करने वालों के,
बेवक्त नीर बहाने वाले, उस वक्त ही क्यों दफा होते है लोग !
kunwar ji,
gr8!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत ही अच्छी रचना गोदियाल साहब।
वाह गोदियाल जी । बहुत सुन्दर रचना लिखी है आज। बधाई।
Maaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
....अच्छी रचना गोदियाल साहब।
प्रभावशाली सुन्दर रचना..
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