मित्रो, व्यस्तता की वजह से आज ब्लोग-जगत पर मेरी उपस्थिति कम ही रही, मगर मैं समझता हू कि अभी भी यहां इस ब्लोग जगत पर पत्रकार निरुपमा की असामयिक और दर्दनाक मौत से समबन्धित चर्चाओं का बाजार काफ़ी गरम है। जैसा कि मैने कुछ ब्लोग मित्रों के ब्लोगो पर कुछ टिप्पणियों मे भी कहा और अब भी कह रहा हूं कि मीडिया के साथ-साथ अनेक ब्लोगर मित्रों ने बिना सोचे-समझे निष्कर्षो पर पहुंच इस पूरे प्रकरण को एकपक्षीय बनाकर जरुरत से ज्यादा तूल दिया। खैर, भग्वान निरुपमा की आत्मा को शान्ति प्रदान करे, यही प्रार्थना करता हूं, और इस पूरे घटना के मद्यनजर पेश है एक गजल;
त्याग कर पुरा-रीतियां, निकली नये अभियानों पर ।
बदलने लगी है दुनिया, सभ्यता के दरमियानों पर ॥
न स्वयम्बर की दरकार रही, न युवराजों की जंग ।
जंक खाती जा रही तलवारें ,पडे-पडे मयानों पर ॥
क्या पूनम, क्या अमावस, शुक्ल क्या कृष्ण पक्ष ।
सूरज ग्रहण लगा रहे है, चांद के आशियानों पर ॥
कह रहे थे लोग,माली ने खुद गुलशन उजाड डाला।
करें भी कोई ऐतवार कैसे, अपने इन सयानों पर॥
सबूत मिटा डाले उसी ने, जिस पर दारोमदार था ।
मुकदमा दर्ज हुआ भी तो, गिरगिट के बयानों पर ॥
17 comments:
waise mujhe bhi bahut dukh hai jo kuch bhi hua...lekin agar ye hamari beti ne kiya hota to kya karte...bas ek masoom sa prashn hai...
सबूत मिटा डाले उसी ने, जिस पर दारोमदार था ।
मुकदमा दर्ज हुआ भी तो, गिरगिट के बयानों पर. satay hai.nice
Dukhad ghatnaa hai ......
सबूत मिटा डाले उसी ने, जिस पर दारोमदार था ।
मुकदमा दर्ज हुआ भी तो, गिरगिट के बयानों पर ॥
antim lines bahut sashakt hai
बहुत सुन्दर रचना है ... खास कर ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी
सबूत मिटा डाले उसी ने, जिस पर दारोमदार था ।
मुकदमा दर्ज हुआ भी तो, गिरगिट के बयानों पर ॥
अजी हो सकता है किसी ने कुछ भी ना किया हो उसी लडकी ने आत्महत्या की हो , मां बाप के डांटने के बाद या किसी अन्य कारण से.बिना सबुत क्यो किसी को दोषी कहे
न स्वयम्बर की दरकार रही, न युवराजों की जंग ।
जंक खाती जा रही तलवारें ,पडे-पडे मयानों पर ॥
विसकुल सही बात कही है आपने
achha vishay chuna aapne..badhai
बहुत ही सशक्त और सटीक अभिव्यक्ति गोदियाल जी । और अंतिम पंक्तियां तो कहर ढा रही हैं
पता नहीं, लेकिन दुखद तो अवश्य है..
अच्छी गजल ,दुखद है सब कुछ ।
और हां सुमन जी NICE के अलावा भी कुछ लिखते हैं ।
सुन्दर रचना!
मातृ-दिवस की बहुत-बहुत बधाई!
ममतामयी माँ को प्रणाम!
सबूत मिटा डाले उसी ने, जिस पर दारोमदार था ।
मुकदमा दर्ज हुआ भी तो, गिरगिट के बयानों पर ॥
वेदनायुक्त ग़ज़ल..
मुकदमा दर्ज हुआ भी तो, गिरगिट के बयानों पर ..
देश का माहॉल आज ऐसा ही है .... देश का सत्यानाश कर रहे हैं ये राजनेता ...
बेहद सटीकता से बात कह दी आपने.
रामराम.
बहुत ही उम्दा और सटीक सोच से निकली अभिव्यक्ति /
..........प्रभावशाली
.........सुन्दर रचना!
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