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Saturday, May 29, 2010

विकसित होता भारत देखो !

अटल, सोनिया, एपीजे, मनमोहन और प्रतिभा-रत देखो,
लालू, मुलायम, ममता , येचुरी, प्रकाश-वृंदा कारत देखो !
संतरी देखो, मंत्री देखो, अफसर, प्रशासक सेवारत देखो,
आओ दिखाएँ तुमको अपना,विकसित होता भारत देखो !!




शहर,सड़क व गलियों की 'प्रगति-ज्वर' से हया मर गई,
जन-प्रतिनिधियों की नाक तज,शर्म पलायन देश कर गई !
बेशर्मी बंद वाताकूलन में, इनकी हर ओंछी शरारत देखो,
आओ दिखाएँ तुमको अपना, विकसित होता भारत देखो !!


निर्धन कुटिया की छान को, महंगाई का बोझ ढा गया,
नेता राशन,तोप, खेल, संचार,और पशु चारा खा गया !
भूखे व्याकुल जन, मवेशी और गइया कूड़ा चारत देखो,
आओ दिखाएँ तुमको अपना, विकसित होता भारत देखो !!


style="font-size:100%;">
जन-जन की आँख में पानी है,धरा के माथे परेशानी है,
चादर ओढ़ के मुखिया सो रहा, जाग लगाना बेमानी है !
लहुलुहान हो रही धरती माता, भाई-भाई को मारत देखो,
आओ दिखाएँ तुमको अपना, विकसित होता भारत देखो !!

कहने को इस लोकतंत्र में,जिस आम आदमी का राज है,
प्रतिनिधि उसी का कर रहा उसे, दाने-दाने को मोहताज है !
लूट मची जनता के धन की, माला कंठ में धारत देखो,
आओ दिखाएँ तुमको अपना, विकसित होता भारत देखो !!





31 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यही सच्चा विकास है..

राजेन्द्र मीणा said...

बढ़िया लिखा ..आज का भारत ऐसा ही है

संजीव तिवारी .. Sanjeeva Tiwari said...

करारा प्रहार.

honesty project democracy said...

वाह रे विकसित होती भारत की तस्वीर ,शर्म को भी शर्म आ जाये लेकिन इन बेशर्मों को शर्म का पाठ कौन पढाये |

honesty project democracy said...

सोनिया जी का का भारत उदय ,मनमोहन जी का INDIA SHIN ..... ?

शंकर फुलारा said...

आपने क्या बात कही है ! हमसे तो कुछ कहते नहीं बन रहा है | "बहुत तीखी मार है" कह सकते हैं | पर बेशर्मों तक कैसे पहुंचे ?

मो सम कौन ? said...

खूब धोते हो गोदियाल जी,
भारत और इंडिया के बीच का अंतर बढ़ता ही जायेगा।

आभार।

डॉ टी एस दराल said...

बहुत भारी है भाई ।

जी.के. अवधिया said...

बहुत खूब गोदियाल जी!

किन्तु,

"A good man in an evil society seems the greatest villain of all."

अर्थात खराब समाज में अच्छा आदमी सबसे बड़ा खलनायक प्रतीत होता है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

राजतंत्र पर गहरा कटाक्ष है....बहुत बढ़िया

DR. ANWER JAMAL said...

senior blogger गोदियाल जी ! हम आपकी सलाह का सम्मान करते हैं . आप एक शायर हैं और बखूबी जानते हैं कि वक़्त और हालात इन्सान को कभी कभी बहुत कुछ कहने और करने के लिए मजबूर कर देते हैं . आज दोबारा फिर मैं आपके चेहरे कि लालिमा में इज़ाफ़े कि कामना मालिक से करता हूँ . आपकी आमद का शुक्रगुज़ार हूँ .
http://vedquran.blogspot.com/2010/05/ved-and-quran-have-same-message.html
आम भारतीय का ऐसा ही हाल पिछली सरकारों में भी था.

दीपक 'मशाल' said...

बिलकुल आदमकद आइना दिखा दिया आपने प्रगति नाम की देवी को.. अब क्रांति बहुत जरूरी है..

वन्दना said...

"विकसित होता भारत देखो !"..........sach kaha.......kitna vikas ho gaya.........

besharmon,majbooron lacharon ka bharat dekho
dagabajon ke hathon nilaam hota
bharat dekho

राज भाटिय़ा said...

विकसित नही कंगाल होता जा रहा है मेरा देश, लेकिन यह सभी उस वेटर की चाप्लुसी मै लगे है, जिस की ओकात भारत से बाहर दो टके की नही, ओर देश के नागरिको की सच्ची तस्वीर आप ने दिखा ही दी, ओर यह नेता हार पहन कर किसे दिखा रहे है, जिन से भीख मै वोट मांगते है, उन्ही को लानत है इन सब पर.... बने के यह सब कोडी ओर भिखारी ही अगले जन्म मै.
आज आप ने आंखॊ मै आंसू ला दिये, यह चित्र दिखा कर ओर इन कुत्तो का काम दिखा कर. धन्यवाद

महफूज़ अली said...

यही सच्चा विकास है..

अमिताभ मीत said...

सही है भाई... हम सच में विकसित हो गए हैं ..

M VERMA said...

कहने को इस लोकतंत्र में,जिस आम आदमी का राज है,
प्रतिनिधि उसी का कर रहा उसे, दाने-दाने को मोहताज है !
वाह क्या कहने आपने तो सत्य का आईना ही दिखा दिया

Mahak said...

स्वामी रामदेव एवं नरेन्द्र मोदी जी
इस निराशा के घनघोर अन्धेरें में सिर्फ इन 2 ही लोगों से इस देश के भाग्योदय की उम्मीद की जा सकती है
आपको देश की सच्ची तस्वीर दिखाने के लिए आभार .इसका हल भी बताएं तो बहुत अच्छा हो .

धन्यवाद

महक

Dr.R.Ramkumar said...

बहुत यथार्थ ..बेबाक..निर्भय और रौद्र..विद्रूप चित्रण..
व्यंग्य में दर्द और आक्रोश भी होते हैं..
बढिया प्रस्तुति

सुनील दत्त said...

आंखे खोल देने वाली रचना

शिवम् मिश्रा said...

एक बेहद उम्दा और सार्थक रचना है !
बहुत बढ़िया लिखा आपने बधाइयाँ !!

योगेन्द्र मौदगिल said...

झकझोरती रचना... चित्रमयी भी.. साधुवाद..

दिलीप said...

sach likh kadwa sach...aaina dikhaya hamein...par isse hamei n kya kuch ark padega...ye sochne ki baat hai

दिगम्बर नासवा said...

विकास की सच्ची तस्वीर रक्खी है आपने ... हमारा देश प्रगति के पथ पर ...

गिरीश बिल्लोरे said...

फ़ुल शोट मारा डाक्टर सा’ब

पापा जी said...

पुत्र
तू बहुत योग्य है
तेरे अन्दर जो ऊर्जा है उसको सही दिशा मे लगाता चल, सफ़लता जरुर मिलेगी
पापा जी

मनोज कुमार said...

05.06.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/

मनोज कुमार said...

05.06.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/

मनोज कुमार said...

बहुत यथार्थ ..बेबाक..निर्भय और रौद्र..विद्रूप चित्रण..इसके व्यंग्य में दर्द और आक्रोश भी हैं।

मनोज कुमार said...

बहुत यथार्थ ..बेबाक..निर्भय और रौद्र..विद्रूप चित्रण..इसके व्यंग्य में दर्द और आक्रोश भी हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

.....नाच रहा नर होकर नंगा ।
...
कितना बदल गया इंसान ।