वो शख्स !
जो जिन्दगी से हुआ 'बोर' है,
और पैदाइशी कामचोर है,
मेहनत करना नहीं चाहता,
भूखों मरना नहीं चाहता,
जुए-उठाईगिरी में भाग्य आजमाया,
मगर कहीं भी शकून न पाया,
अभी कल ही सड़क पर जाती
बग्गियों से गन्ना लूछ रहा रहा था,
मुझे देखा तो मुझसे से पूछ रहा था,
भाई साहब, आप सिर मत खुजाओ,
मुझे सिर्फ और सिर्फ इतना बताओ,
मेरी किस्मत में बिजनेस का योग है,
ये 'आइ वास' घरेलू है या लघु उद्योग है ?
मैंने कहा,क्या बात की है भैया !
लग जायेगी तुम्हारी भी पार नैया,
नाम भले ही इसका धोखा है ,
मगर धंधा बड़ा चोखा है ,
जो जिन्दगी से हुआ 'बोर' है,
और पैदाइशी कामचोर है,
मेहनत करना नहीं चाहता,
भूखों मरना नहीं चाहता,
जुए-उठाईगिरी में भाग्य आजमाया,
मगर कहीं भी शकून न पाया,
अभी कल ही सड़क पर जाती
बग्गियों से गन्ना लूछ रहा रहा था,
मुझे देखा तो मुझसे से पूछ रहा था,
भाई साहब, आप सिर मत खुजाओ,
मुझे सिर्फ और सिर्फ इतना बताओ,
मेरी किस्मत में बिजनेस का योग है,
ये 'आइ वास' घरेलू है या लघु उद्योग है ?
मैंने कहा,क्या बात की है भैया !
लग जायेगी तुम्हारी भी पार नैया,
नाम भले ही इसका धोखा है ,
मगर धंधा बड़ा चोखा है ,
ये तो अब हाईप्रोफाइल पेशा बन गया,
लघु क्या ये तो वृहत उद्योग बन गया ,
फटाफट फैक्ट्री लगाओ,
फिर बिजनेस तो क्या
राजनीति में भी किस्मत आजमाओ .
इस देश की जनता के खूब मन भावोगे,
'लक' अच्छा रहा तो
किसी दिन मंत्री-संत्री भी बन जावोगे !!
फटाफट फैक्ट्री लगाओ,
फिर बिजनेस तो क्या
राजनीति में भी किस्मत आजमाओ .
इस देश की जनता के खूब मन भावोगे,
'लक' अच्छा रहा तो
किसी दिन मंत्री-संत्री भी बन जावोगे !!
18 comments:
अंतिम लाईन में सच्चाई लिख दी :)
कविता मजेदार रही ।
लेकिन गोदियाल जी ये आई वास क्या है ?
waah ..........kya baat kah di........gazab .
बहुत बढ़िया व्यंग्य रचना है गोदियाल जी ... आपने अंतिम पंक्ति में सच का बखान किया है ...
पर एक बात कहना चाहूँगा ...
बन जाओगे नहीं ... बन चुके हैं ... आखिर हमारे देश के वर्तमान मंत्री-संत्री आये कहाँ से हैं ... की के भी इतिहास उठा कर देख लीजिए ... एक भी साफ़ दामन नज़र आये तो कहियेगा ...
shandaar..............
jaandaar.........
teekha vyangya kiya aapne
Ha- Ha Dr. Sahaab " EYE WASH "
अच्छा भविष्य बताया आप ने धन्यवाद
'लक' अच्छा रहा तो
किसी दिन मंत्री-संत्री भी बन जावोगे !!
और फिर ऐसे ही तो बने हुए हैं
गोदियाल जी ,आज आपने देश और समाज में हर ईमानदारी के रास्ते पर बेईमानो ने कैसे-कैसे गंदगी फैलाकर, विश्वास नाम की चीज को ही समाप्त कर दिया है ,इसी बात को एक व्यंग के रूप में बहुत ही बखूबी से उतारा है / आशा है समाज और देश में फैले और भी बिमारियों को ऐसे ही अपनी प्रस्तुती से नंगा करते रहेंगे /
बहुत सही...
desh ki janta ko aap jese netao ki hi jarurat he
nice
desh ki janta ko aap jese netao ki hi jarurat he
बहुत बढ़िया व्यंग्य रचना है गोदियाल जी .
मस्त और ज़बरदस्त वाली बात है जी....
कुंवर जी,
राजनीति में भी किस्मत आजमाओ .
इस देश की जनता के खूब मन भावोगे,
'लक' अच्छा रहा तो
किसी दिन मंत्री-संत्री भी बन जावोगे !
आपके मुँह में घी शक्कर!
बहुत बढ़िया गोदियाल साहब
लगे रहो .
बहुत बढ़िया गोदियाल साहब
लगे रहो .
ये बात सौफी सदी सच है ... एक बार एम पी या एम एल ऐ बनने में १ करोर खर्च करो १०-२०-१०० हो सके तो ४००० करोर भी कमाओ ...
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