मुझको मेरी रहमदिली ने सताया,
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
धीमी- आहिस्ता शाम ढल रही थी,
मेरे सामने इक शमा जल रही थी !
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
धीमी- आहिस्ता शाम ढल रही थी,
मेरे सामने इक शमा जल रही थी !
तभी फिर वहाँ एक परवाना आया,
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
पतंगा कोई एक गीत गा रहा था,
शम्मा के इर्द-गिर्द मंडरा रहा था !
प्यार के जुनून में था वह मनचला,
जब तक जली शमा वो भी जला !
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
पतंगा कोई एक गीत गा रहा था,
शम्मा के इर्द-गिर्द मंडरा रहा था !
प्यार के जुनून में था वह मनचला,
जब तक जली शमा वो भी जला !
'
'
कभी साथ ऐसा किसी ने निभाया,
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
बदन अपना वो लौ में लुटाता रहा,
हालत उसकी देख मैं छटपटाता रहा !
जिन्दगी से जाने क्यों रुष्ट था वो,
इरादे का पक्का बड़ा दुष्ट था वो !
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
बदन अपना वो लौ में लुटाता रहा,
हालत उसकी देख मैं छटपटाता रहा !
जिन्दगी से जाने क्यों रुष्ट था वो,
इरादे का पक्का बड़ा दुष्ट था वो !
दृड़-प्रण वो उसका मुझे बहुत भाया,
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !!
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !!
25 comments:
इतना सुन्दर लिखने के वाद कहते हो कुछ न लिख पाया
वाह!
शम्मा-परवाने को मिलता देख आप कुछ लिख नहीं पाए,
सह ली सारी परवाने की पीड़ा और कुछ लिख नहीं पाए,
दृद-प्रण के सीख ले ली पर कुछ लिख नहीं पाए,
कुंवर जी,
यह तो बहुत खूब लिख दिया..
प्यार के जुनून में था वह मनचला,
जब तक जली शमा वो भी जला !
वाह जी क्या बात है, बहुत सुंदर
धन्यवाद
बहुत खूब!
पढ़कर अनायास ही राही मासूम रज़ा जी का ये शेर याद आ गयाः
कल कुछ ऐसा हुआ में बहुत थक गया, इसलिए सुन के भी अनसुनी कर गया,
कितनी यादों के भटके हुआ कारवाँ , दिल के ज़ख्मों के दर खटखटाते रहे।
जब कुछ लिख ना पाए तब इतनी सुन्दर रचना मिली सर.. अगर लिखेंगे तो सच में अंधड़ ही ला देंगे.. हा हा हा
वाह गोदियाल साहब, हमें भी कुछ याद आ गया है,
"कितने परवाने जल गये, ये राज पाने के लिये
शमां जलने कि लिये है, या जलाने के लिये"
जो आप ने लिखा, वो न लिखे से बहुत ऊपर की चीज है।
इतनी सुन्दर प्रेम कहानी का
आँखों देखा हाल सुनाया ।
सच कहता हूँ बड़ा मज़ा आया ।
jab likh nahi paaye to ye aalam hai agar likh diya to kya pralay laayenge :D
इतना सुन्दर लिखने के वाद कहते हो कुछ न लिख पाया
गोंदियाल साहब .
आप कुछ लिख नहीं पाए और आपके दीवाने बहुत कुछ पढ़ लिए..
जब लिख नहीं पाये तब इतना गजब लिख गये. लिख पाते तो क्या गज़ब ढाते.
22.05.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
शम्मा और परवाने पर मैंने भी कभी कुछ लिखा था....शायद ३५ साल पहले....:):)
परवाने की मौत पर शमा रोती है
उसके हर अश्क की बूंद परवाने के लिए होती है
परवाना शमा का दीवाना होता है
और उसकी मौत शमा से ही होती है |
जब बिना कुछ लिखे ही इतना अच्छा लिख सकते हैं तो लिखने की जरूरत क्या
वैसे बेहद सुन्दर गीत है
वेबसी पर इतना बढ़िया लिखा है तो
मन से लिखोगे तो ...बहुत वेहतरीन लिखोगे!
आप तो बेबसी में ही लिखा करो जी ............बेहद उम्दा लिखते हो !!
आज मैं पहली बार आई आपके ब्लाग पर बहुत अच्छा लगा, नहीं लिख पाने में बहुत कुछ लिख दिया आपने।
प्यार के जुनून में था वह मनचला,
जब तक जली शमा वो भी जला ...
और मैं रहा देखता
जलना परवाने का
बुझना शमा का
शायद इसलिए ही कुछ नहीं लिख पाया ...
मगर अपने आप ही बहुत कुछ लिख गया ...
पतंगा कोई एक गीत गा रहा था,
शम्मा के इर्द-गिर्द मंडरा रहा था !
प्यार के जुनून में था वह मनचला,
जब तक जली शमा वो भी जला ! '' कभी साथ ऐसा किसी ने निभाया,
कल रात को मैं कुछ लिख न पाया !
और इससे ज्यादा क्या लिखोगे सर जी
इतना बढ़िया लिखा हैं .
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
DERI SE AANE KI MAFI CHAHTA HOON
मेरी १०० वी समर्थक प्रवाल्लिका जी की एक सुंदर कविता..
आप अपनी अनमोल प्रतिक्रियाओं से लेखक को प्रोत्साहित कर हौसला बढाईयेगा
सादर ।
Love begins with our thoughts. We become what we think about. Loving thoughts create loving experiences and loving relationships. Affirmations can change our beliefs and thoughts about ourselves and others. If we want to love someone, we need to consider their needs and desires. Thinking about your ideal partner will help you recognize her when you meet her.
और क्या लिखने के चक्कर में थे आप?
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना...
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