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Saturday, December 19, 2009

लघु कब्बाली !

पता नहीं आप लोगो का मन भी ऐसा करता है अथवा नहीं, मगर मेरा कभी-कभी ये मन बड़ी अजीबोगरीब हरकते करता है ! आज सुबह से मन कर रहा था कि मैं ताली बजाऊ , रास्ते में ड्राइव करते वक्त स्टेरिंग छोड़ ताली बजाने लगता, फिर अगल-बगल झांकता, चलने वालो को देखता कि कोई मेरी हरकते तो नहीं देख रहा :) बाद में ध्यान आया कि आज हमारे मुस्लिम बंधुओ का नववर्ष है , तो सर्वप्रथम मैंने उन्हें नवबर्ष की शुभकामनाये दी और फिर सोचा कि क्योंकि अपने मुस्लिम भाई-बहन कब्बाली गाना बहुत पसंद करते है तो चलो आज एक कब्बाली ट्राई की जाए ! सुन्दर और थोड़ा लम्बी तो नहीं बन पडी मगर जो भी है, उन्हें नवबर्ष पर समर्पित कर रहा हूँ ! तो आइये आप भी ताली बजाये, मेरे संग :)

मेरे प्यार का जानम तुमने वाह, क्या सिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!
अरमां-ए-दिल को खाक मे, पलभर मे मिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!

सुनो इश्क वालों सुनो, तुम प्यार ज़रा संभलकर करना !
गिलास में परोसा क्या है, उधर भी देख लिया करना !!
फिर न कहना, किसी ने हमको अलर्ट नहीं किया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!

मेरे प्यार का जानम तुमने वाह, क्या सिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!
अरमां-ए-दिल को खाक मे, पलभर मे मिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!

कभी हमको भी शर्म आती है कि हम इस तरह जिये क्यो ?
अमृत का जाम मांग कर फिर प्याला जहर का पिये क्यो ??
सुरूर ऐसा मिला कि जिसने रोम-रोम हिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!

मेरे प्यार का जानम तुमने वाह, क्या सिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!
अरमां-ए-दिल को खाक मे, पलभर मे मिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!

15 comments:

Mithilesh dubey said...

सुनो इश्क वालों ज़रा, तुम प्यार ज़रा संभलकर करना !
गिलास में परोसा क्या है, उधर भी देख लिया करना !!
फिर न कहना, किसी ने हमको अलर्ट नहीं किया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया !!

बहुत खूब कहा जनाब आप नें ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

सुरूर ऐसा मिला कि जिसने रोम-रोम हिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया !!

सुन्दर अभिव्यक्ति है!

वाणी गीत said...

मेरे प्यार का जानम तुमने वाह, क्या सिला दिया
जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया...

अरसे बाद कोई कव्वाली पढ़ी है ...वैसे तो आजकल सुनायी भी कम ही देती है ...!!

vikas mehta said...

सुनो इश्क वालों ज़रा, तुम प्यार ज़रा संभलकर करना !
गिलास में परोसा क्या है, उधर भी देख लिया करना !!
फिर न कहना, किसी ने हमको अलर्ट नहीं किया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया !!

बहुत खूब कहा जनाब आप नें । vah vah

जी.के. अवधिया said...

बहुत खूब!

जहर का प्याला मिला, यही तो है प्यार का सिला!

sada said...

मेरे प्यार का जानम तुमने वाह, क्या सिला दिया
जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया !

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों से युक्‍त यह बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

सुभाष चन्द्र said...

सुरूर ऐसा मिला कि जिसने रोम-रोम हिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया !!
वाह, बहुत खूब लिखा है आपने

Mrs. Asha Joglekar said...

शिव होने का सौभाग्य मिल गया जी आपको ।

Mishra Pankaj said...

गोदियाल साहब ये तो ऐसा नहीलगता आपने पहली बार लिखा है मुझे तो ऐसा लग रहा है आप कव्वाली भी मस्त गा लेते होगे :)
बढ़िया लगा

गिरिजेश राव said...

@कभी हमको भी शर्म आती है कि हम इस तरह जिये क्यो ?
अमृत का जाम मांग कर फिर प्याला जहर का पिये क्यो ??

वाह! उपर की पंक्तियाँ सोचने को विवश करती हैं।


"जाम-ए-मोहब्बत दिखा घूंट, जहर का पिला दिया " को "जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया" कर दीजिए।

डॉ टी एस दराल said...

वाह गोदियाल जी, ये तो एक नया रूप देखा आपका।
कव्वाली बड़ी अच्छी बनी है। बस कोई गा कर सुना दे तो और भी आनंद आ जाये।
बधाई।

पी.सी.गोदियाल said...

शुक्रिया गिरिजेश जी, भूल सुधार कर दी मैंने !

मनोज कुमार said...

बहुत खूब।

अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी said...

बस कौब्बालों की व्यवस्था हो जाय ..
गाजा बाजा पे सब जम जाता है ..
इसी 'अंधड़ ' में यह भी सही ..

सुलभ § Sulabh said...

सुरूर ऐसा मिला कि जिसने रोम-रोम हिला दिया !
जाम-ए-मोहब्बत दिखा, घूंट जहर का पिला दिया !!
मेरे प्यार का जानम तुमने वाह, क्या सिला दिया !

वाह गोदियाल साहब, उम्दा कव्वाली !!
मन तो किया कि मैं भी शामिल हो जाऊं

-सुलभ