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Saturday, September 18, 2010

अनुभव !

कमवक्त दिल ने तो
ताउम्र,एक ही बार,
बस एक ही
चाहत माँगी थी,
इश्क का भूत
कहीं दिल में जगा।
ट्विटर पर
ट्विट्ट करते-करते
इक हसीना से जा लगा॥

वो मुझसे करती
खूब ट्वीट थी,
बाते भी उसकी
बड़ी स्वीट थी।
जब रहा न गया
तो लिख भेजा कि
ऐ हुस्न की मल्लिका!
हम तुम्हारे चेहरे का
दीदार करना चाहेंगे,
कोई उपाय बताइये ?
जबाब आया,
जनाब "फेसबुक"पर आइये॥
बस,आज की
संचार तकनीकी को कोसते हुए
दिल मसलकर रह गए!!

3 comments:

निर्मला कपिला said...

हा हा हा बहुत खूब। धन्यवाद।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

vaah bahut khoob byaan kiya... sach kehne ki himmat bahut khoob...

Amar Pratap Singh said...

loksangharsh blog ki pehli post par dhyan dein

http://loksangharsha.blogspot.com/2009/03/loksangharsha.html