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Monday, November 30, 2009

ये दुनियां चलायमान है मूरख!

लीजिये झेलिये ;

इस कदर करता तू,
किस बात पर अभिमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!

यहां बीबी-बच्चे,
भाई-भतीजा, गांव-गदेरा,
जाना तय है और,
अन्तकाल मा कोई न तेरा,
फिर तुझमे किस बात का,
यों इतना गुमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!

अच्छा और बुरा ,
इन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,
यही तो इस जगत का
सदियों पुराना विधान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!

समय नही लगता यहां
पाप-पुण्य उलझने मे,
फर्क है कथनी और करने मे,
जिस ढंग से समझना चाहो
देर कहां, उसी ढंग से समझने मे,
भला करेगा तो भला होगा,
यही जीवन का सार और ज्ञान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!

सत्य को पकड के रख
जरुरत से ज्यादा चिकना है यह
कब हाथ से फिसल जाये पता नही ,
इसलिये उसे जकड के रख,
यहां बर्गलाने को,
स्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!

18 comments:

Babli said...

सत्य को पकड के रख
जरुरत से ज्यादा चिकना है यह
कब हाथ से फिसल जाये पता नही ॥
बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है और सच्चाई बयान करती है!

जी.के. अवधिया said...

"अच्छा और बुरा ,
इन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,"


सुन्दर!

किन्तु;

आज के जमाने में यदि
तू अच्छा करेगा
तो यह भी समझ ले कि
हरदम भूखा ही मरेगा

और यदि बुराई
के रास्ते को चुनेगा
तो निश्चय जान कि
जल्दी ही धनकुबेर बनेगा

ललित शर्मा said...

यहां बर्गलाने को,
स्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
बहुत सुंदर,
लेकिन अवधिया जी अभी से ही बरगलाने लगे,
ये "रंडापा" काटने दे तो..............

आमीन said...

बहुत अच्छा लिखा

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सटीक और चिकना सत्य कहती रचना. एक एक शब्द बोल रहा है. नमन है आपको.

रामराम.

अर्शिया said...

सार्थक व्यंग्य।
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भीड़ है कयामत की, फिरभी हम अकेले हैं।
इस चर्चित पेन्टिंग को तो पहचानते ही होंगे?

Pandit Kishore Ji said...

bahut hi badiya

डॉ टी एस दराल said...

वाह ज़नाब , पूरी गीता का सार प्रस्तुत कर दिया, चंद शब्दों में।
बधाई।

अजय कुमार said...

daarshnik rachna hai , achchha laga

M VERMA said...

अच्छा और बुरा ,
इन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,
सार्थक बातें सरल और सुन्दर ढंग से

काजल कुमार Kajal Kumar said...

हम्म्म
सहमत हूं
चलायमान न होती तो आज हम यहां नहीं पहुंचते

राज भाटिय़ा said...

आप की बात से सहमत है जी

मनोज कुमार said...

रचना जीवन की अभिव्यक्ति है।

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...

यहां बर्गलाने को,
स्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!

वाह्! गोदियाल जी, आपने तो इस रचना में गहरा दर्शन समेट डाला....
बहुत ही बढिया!!

Udan Tashtari said...

मन विरक्ति से भर गया...धन्य हैं आप!!!


शानदार!

संगीता पुरी said...

शानदार रचना !!

महफूज़ अली said...

बहुत बढ़िया लगी यह रचना.....

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कृपया मेरी नई पोस्ट देखिएगा.....

वन्दना said...

BAHUT HI GAHRE BHAV.