आज सुबह से व्यस्तता की वजह से समय नहीं मिल पाया, कल इसे अपने ब्लॉग पर डाला था, मगर फिर यह सोचकर इसे हटा लिया था कि आज तो देश उन शहीदों को याद कर रहा है, जिन्होंने पिछले साल पाकिस्तानी दरिंदो से लड़ते अपने प्राण न्योछावर किये, मगर, अगर हम लोग इस चिंगारी को सुलगाये नहीं रखेंगे तो ये हमारे कमजोर याददास्त वाले देशवासी कलतक सब कुछ भूल जायेंगे ! इसलिए मैंने कल इसे डिलीट कर दिया था, आज पुनः लगा रहा हूँ !
जैसा कि आप सभी जानते है कि पिछले साल पाकिस्तान से आये अन्य नौ राक्षसों के साथ इस एक जीवित बचे और इज्जत से पाले पोसे जा रहे दरिन्दे, अजमल कसाब ने सेकड़ो निहत्थे, निर्दोषों को मौत के घाट उतारा था! उसके बाद खबर आई थी कि इस दरिन्दे की माँ (अम्मी ) नूर इलाही उससे मिलने मुंबई आ रही है ! फिर पता चला कि इस दरिन्दे को आतंकवादियों के हाथो इसके ही बाप (अब्बू ) मोहमद अमीर ईमान ( जैसा कि अमूमन देखा गया है उसी परिपाटी पर खरे उतरते हुए हरामखोर नाम{अमीर ईमान } के ठीक विपरीत भिखमंगा था, और एक नंबर का बेईमान भी ) ने बेचा था, तो यह जान कर उसकी अम्मी काफी विचलित है और जिन्ना को एक चिठ्ठी लिख रही है, आईये, देखे कसाब की माँ की चिट्ठी जिन्ना के नाम;
क्या मिला जिन्ना तुझे, तेरे पाकिस्तान बनाने मे ,
क्या–क्या न सहा जालिम इस जह्न्नुम मे आने मे !
इससे बेहतर तो हम उस पार हिन्दुस्तान में ही थे,
जाने कैसे आ गए भले मानुष , तेरे इस बहकाने मे !!
आशाओं का दीपक मैने जलाया था जिस 'ईमान' संग,
उसी कम्वख्त ने खुद पहल कर दी उसको बुझाने मे !
चंद रुपयों की खातिर बेच डाला इस काफिर ने उसे,
कसाइयों के हाथो, न रहे उसके दीमाग ठिकाने मे !!
जालिम ईमान ने थोड़ी भी ईमानदारी दिखाई होती,
फिर क्यों आज इसकदर थू-थू मिलती हमें जमाने में !
और न वहाँ उस पार मुंबई में सेकड़ो माँ-बहिने रोती,
अगर कसाब ने बस्ती को न बदला होता बूचड़ खाने में !!
कसाब को बेचने की जो कीमत मिली थी, खा-पी ली,
नंगे थे, नंगे है , अब कुछ भी तो नहीं बचा खजाने में !
सोच रही थी कबसे कि अपना दर्द तुम्हे लिखकर भेजू ,
करते-करते साल बीता दिल की यह बात बताने में !!
Friday, November 27, 2009
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18 comments:
मेरे एक कविता की लाइन पेश है-
’जब रास्ता गलत हो , अंजाम ये होता है ’
ye chithhi kuch sach bya karti hai
plz my blog & 1 comments
http://mehtablogspotcom.blogspot.com/
maa to maa hoti hai ye chitthi kai kasabo ki mmon ka dard baya kar gayee.saadhuvaad,is samvedansheel rachana ke liye.
अब पता नहीं यह समझ में नहीं आ रहा है...कि कसाब को पाला ही क्यूँ जा रहा है..????? ३१ करोड़ बर्बाद कर दिए...... उतने में तो एक हॉस्पिटल या स्कूल बन जाता ..... अरे सीधा सा केस है..... सबूत भी है..... चढ़ा दो फांसी..... कहानी ख़त्म और अगले कई ३१ करोड़ से हॉस्पिटल या स्कूल या कारखाना बनवाएं......
गोदियाल साहब, हमारा तो खून जल रहा है पर उस दरिंदे को तो सभी सुख सुविधा-मिल रही है। धन्य है हमारे देश का कानून!
कसाब को बेचने की जो कीमत मिली थी, खा-पी ली,
नंगे थे, नंगे है , अब कुछ भी तो नहीं बचा खजाने में !
सोच रही थी कबसे कि अपना दर्द तुम्हे लिखकर भेजू ,
करते-करते साल बीता दिल की यह बात बताने में !!
बहुत सही कहा है शुभकामनायें हम लोग तडपते रहेंगे और लोखते रहेंगे मगर लोई कुछ नहीं करेगा।
kasaab par 35 krod kharch ho chuke he..., kitane aour baaki he..pattaa nahi.../
न जाने कितने कसाब बिके होंगे और बिक रहे होंगे.
गोदियाल साब-कल जब मै इस पोस्ट पर आया तो मुझे दरवाजा लाक मिला, मैन सोचा की क्या हो गया, आपसे सम्पर्क का साधन नही है नही तो अवश्य ही सम्पर्क करता, चलो आपने हटाई हुयी पोस्ट आज लगा दी है,जिज्ञासा शांत हुई।
गुस्सा आक्रोश सभी मे है. पर शायद कानून की अपनी कुछ मजबूरियां रहती होंगी. बहरहाल आपने बहुत सामयिक लिखा, शुभकामनाएं.
रामराम.
अपना खून जलाने के सिवा ओर किया भी क्या जा सकता है......जब अपने देश का कानून ही पंगु है ।
कसाब को बेचने की जो कीमत मिली थी,
खा-पी ली,
नंगे थे, नंगे है ,
अब कुछ भी तो नहीं बचा खजाने में !
सोच रही थी कबसे कि अपना दर्द
तुम्हे लिखकर भेजू ,
करते-करते साल बीता दिल की
यह बात बताने में !!
माँ की वेदना को सही रूप मे पेश किया है आपने!
खोलता खून रचना में दिख रहा है.
अब क्या कहे....इस कमीने की इतनी कीमत ३१ करोड एक साल मै इस सुअर पर खर्च किया.... गुस्सा तो बहुत आता है इस पर नही, अपनी सरकार पर क्यो इस पर इतना खर्च कर रही है???
बहुत प्रभावशाली ढंग से तस्वीर खींची है आपने , कसाब पर सबके आक्रोश की।
न्याय में देरी भी ठीक नही।
कसाब को उसे वक्ति मार दिया जाना चाहिये था जिस वक्त उसे पकडा गया ...और ये नहीं किया गया ...ये सबसे शर्मनाक है ..आपने बिल्कुल सटीक लिखा है गोदियाल जी
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आदरणीय गोदियाल जी,
सामयिक पोस्ट, कसाब और उसके साथियों ने वाकई दरिन्दगी का काम किया है...पर दोबारा कोई कसाब अन्धे मजहबी जुनून में ऐसा करने की जुर्रत न करे... यह देखना होगा हम सब को...
इन्हें आप कैसे देंगे फाँसी ..... संसद के हमलावरों, अफज़ल गुरु और मुम्बई के कसाई,कसाब के साथ तो आपके फारुख अबदुल्ला साहब की सहमति है...... पुराने रिश्ते हैं नेहरु खानदान के साथ उनके । और पैसा, वह तो ऐसे करदाताओं का (हमारा ) है जिन्हें वोट देने की तमीज़ भी नहीं है ।
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