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Wednesday, April 1, 2009

मत छेड़ दूखती रग को ?

मत पूछ ऎ दोस्त, किस तरह जीते है,
शराब छोड दी, अब अश्क ही पीते है,
खुशी बांट्ते अकेले, रोते भी अकेले है
6”x8”की पलंग पर सोते भी अकेले है
हर दिन महिने साल किस तरह बीते है
मत पूछ मेरे दोस्त, किस तरह जीते है
पीने को इक याद दिल मे संजो लाये थे
और इक याद कहीं दिल मे छोड आये थे
कभी सोचा पीने मे क्या रखा,खूब जियो,
कभी सोचा जीने मे क्या रखा,खूब पियो,
न जी पाये,न पी पाये,हाथ रीते थे रीते है
मत पूछ ऎ दोस्त, किस तरह जीते है,

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