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Friday, March 11, 2011

नाउम्मीद !








दूर ले गए थे
ये कहकर
वो उसे मुझसे,
कि महासागर के
बीचोंबीच स्थित
दो भिन्न ज़जीरों का,
मिलन संभव नहीं !
तब से आज तक,
क़यामत की उम्मीद
के सहारे ही
उम्र गुजर गई मगर,
न उसके द्वीप पर
कोई तीव्र भूकंप आया,
और न मेरे टापू पर सूनामी !!

1 comment:

गिरधारी खंकरियाल said...

सुनामी और भू कंप से तो अति वृष्टि हो जाएगी मिलन की आस समाप्त हो जाएगी