जिन्दगी के सफ़र में
मुझसे
आँख मिचोली करता रहा उजाला।
जब कभी
मुझे सफलता की चावी मिली,
कोई कमवख्त बदल ले गया ताला॥
असफलता की गलियों में
जिन्दगी
बस यूँ ही दीन-हीन रही।
क्योंकि वो सड़क
जो मुझे
सफलता की मंजिल पर ले जाती,
दुर्भाग्यवश हमेशा निर्माणाधीन रही॥
Thursday, January 20, 2011
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