ओ माय गौड़ !
स्वार्थी जन आपको
खूब अलंकारते है,
ऊपर वाला, भगवान्,
ईश्वर, अल्हा, रब, खुदा
और न जाने किन-किन
नामों से पुकारते है!
आप होनहार हो,
दुनिया के पालनहार हो,
खूब लुटाते हो अपने भक्तों पर,
आपकी कृपा हो तो घोड़े-गधे भी,
बैठ जाते है ताजो-तख्तों पर !
मगर एक बात जो
मैं आजतक न समझ पाया,
माय बाप !
सिर्फ मेरी ही बारी,
इस कदर क्यों कंजूस
बनते है आप
मुझे बताओ ऐ ऊपर वाले !
मुझमे ही सारे गुण तुमने
पाइरेटेड क्यों डाले?
अरे, कम से कम उसका
लेबल तो निकाल देते!
कुछ नहीं तो यार,
एंटी-वायरस तो ओरिजिनल डाल देते !!
Thursday, January 20, 2011
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