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Friday, March 5, 2021

'परचेत' : तलब

'परचेत' : तलब:   बयां हरबात दिल की मैं,सरे बाजार करता हूँ,  मेरी नादानियां कह लो,जो मैं हरबार करता हूँ। हुआ अनुरक्त जबसेे मैं,तेरी हाला का,ऐ साकी, तलब-ऐ-शा...

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