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Friday, August 14, 2009

सुन लो पुकार, हे कृष्ण !




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हे कान्हा!अब आ भी जाओ, बचा न सब्र कुछ शेष ,
जरुरत महसूस करे तुम्हारी, अरसे से यह देश !

आओ बनकर चाहे तुम ग्वाला, या बन जावो नंदलाला,
देबकीनंदन सुत बनके,लियो चाहे रिझाइ तुम बृजबाला !
बस तुम अब आ भी जावो, धरकर अवतारी भेष,
जरुरत महसूस करे तुम्हारी, अरसे से यह देश !!

कर्म,उपासना अब कष्ट हो गए,ईमान-निष्ठां नष्ट हो गए,
झूठ-फरेब में उलझे सब है, धर्म गुरु भी भ्रष्ट हो गए !
व्यभिचार के दल-दल में डूबे,दरवारी और नरेश,
जरुरत महसूस करे तुम्हारी, अरसे से यह देश !!

संकट में है आज वो धरती, जिसपर तुमने जन्म लिया,
मत भूलो, इसकी रक्षा का, तुमने था इक बचन दिया !
पूरा करो उसे हे कृष्ण! दिया गीता में जो उपदेश,
जरुरत महसूस करे तुम्हारी, अरसे से यह देश !!

हे कान्हा! अब आ भी जाओ, बचा न सब्र कुछ शेष ,
जरुरत महसूस करे तुम्हारी, अरसे से यह देश !


- सभी पाठकों को मेरी तरफ से जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये !

1 comment:

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर रचना .. इतना मन से बुलाएंगे .. तो कान्‍हा जरूर आ जाएंगे .. .. आपको जन्माष्टमी और स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाईयां !!