कातिबे तकदीर को मंजूर पाया, (कातिब-ऐ-तकदीर=विधाता)
तस्सवुर में तेरा हसीं नूर पाया। (तस्सवुर में = ख्यालों में )
बिन पिए ही मदमस्त हो गए हम,
तरन्नुम में तुम्हारे वो सुरूर पाया। (तरन्नुम= गीत )
कुछ बात हममे है कि तुम मिले,
मन में पलता ये इक गुरुर पाया।
सेहर हसीं और शामे रंगीं हो गई, (सेहर = सुबह )
तुमसा जब इक अपना हुजूर पाया।
जब निहारने नयन तुम्हारे हम गए,
प्यार के खुमार में ही चूर पाया ।
बेकस यूँ लगा खो गई महक फूल की, (बेकस = अकेला )
तुम्हें जब कभी खुद से दूर पाया।
4 comments:
//कुछ बात हममे है कि तुम मिले,
मन में पलता ये इक गुरुर पाया।
kya baat hai sirji.. bahut khoob :)
bahut sunder .....
कुछ बात हममे है कि तुम मिले,
मन में पलता ये इक गुरुर पाया।
सेहर हसीं और शामे रंगीं हो गई,
तुमसा जब इक अपना हुजूर पाया।
वाह, वाह, बहत खूब, गोदियाल जी ।
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
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