अनुतप्त न होगा कभी तेरा मन,
कर भोर भये भोले का सुमिरन|
रख शिव चरणों में मनोरथ अपना,
निश्चित मनोकामना होगी पूरन||
सरल सहृदय मन कृपालु बड़े है,
जय भोलेनाथ सन्निकट खड़े है|
अनसुलझी रहे न कोई उलझन,
कर भोर भये भोले का सुमिरन||
सिंहवाहिनी सौम्य छटा में रहती,
तारणी प्रभु शीश जटा से बहती|
ढोल, शंखनाद, घडियाली झनझन,
कर भोर भये भोले का सुमिरन||
नील कंठेश्वर इस जग के रब है,
धन-धान्य वही, वही सुख-वैभव है|
प्रभु-पाद सम्मुख फैलाकर आसन,
कर भोर भये भोले का सुमिरन||
तारणहार जयशंकर विश्व-विधाता,
सर्व शक्तिमान शिव जग के दाता|
न्योछावर करके अपना तन-मन,
कर भोर भये भोले का सुमिरन||
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