,
क़दमों को डगमगाना आ गया है,
सच में क्या ज़माना आ गया है,
बदलते हालात संग हमें भी अब ,
हर रिश्ता निभाना आ गया है!
तेरी खुशी की खातिर हमने कर दी,
हर ख्वाइशे कुर्वान अपनी,
सूना है हमें देखकर अब गुलो को भी,
खिल-खिलाना आ गया है !!
तुमसे बिछुड़कर भी कभी,
तुम्हे भुलाना इस कदर आसाँ न था,
वक्त के सित्तम देखो कि न चाह कर भी,
हमें भुलाना आ गया है !
तुम्हे शिकायत यह थी हम से,
हम पाश्चात्य के रंग में रंग गए,
यह न भूलो, तुम्हारे प्यार के खातिर,
हमें भी शर्माना आ गया है !!
ये मत समझना सिर्फ तुम ही माहिर हो,
दिल का दर्द छुपाने में,
अब हमें भी अपने आंसुओ को,
पलकों में छुपाना आ गया है !
जो मिला था मुक्कदर से,
जिन्दगी को वह न कभी रास आया,
मुस्कुराकर तुम कर दो विदा,
क्योंकि अब मेरा ठिकाना आ गया है !!
Saturday, March 6, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
जो मिला था मुक्कदर से,
जिन्दगी को वह न कभी रास आया,
मुस्कुराकर तुम कर दो विदा,
क्योंकि अब मेरा ठिकाना आ गया है !!
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
Post a Comment