साकी को न जब तलक,
इस बात का मलाल होगा,
मयखाने पर हर मुर्गा,
प्यासा ही हलाल होगा !
मिलेगी न तृप्ति हरगिज,
अतृप्त इस पियक्कड़ को,
हलक इसके घुटन होगी,
दिल बद्दतर हाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
सोचा न था जिसने कभी,
पैमानों की भीड़ में,
छलकते हुए हर जाम पर,
सर भी इस्तेमाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
तबेला बना हो चौराहा,
टुन्न आवारा पशुओं से,
मय के प्याले भर-भरके,
बांटता हर पंडाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
कहीं बीच ढोल-आतिशों के,
डगमगायेंगी कुछ पायले,
संग पगड़ियों के उछलता,
इज्जत का सवाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
शामे-गम को जब कभी,
सन्नाटे से दहशत लगे ,
खर्राटों के सिरहाने कहीं,
खिन्न कुमकुम लाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
पलकें भीग जायेंगी जब,
किसी बेमौसमी बारीश में,
गेसुओं के घने दश्त से,
शिकस्तगी का जमाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
आबाद बना रहे सदा,
साक़ी तेरा ये मयकदा,
एक कोने पर बाप बैठा,
दूसरे धुत लाल होगा !
साकी को न जब तलक........!!
मय मिलाकर इश्क में,
दोनों पियेंगे संग मिलकर,
तेरे मयकदे की कसम,
नजारा बेमिसाल होगा !
साकी को न जब तलक,
इस बात का मलाल होगा,
कि मयखाने पे हर मुर्गा,
यूँ प्यासा ही हलाल होगा !!
छवि गुगुल से साभार
4 comments:
बहुत सुन्दर| धन्यवाद|
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
आपको रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
Ati sundar...
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