पश्चिम से इम्पोर्ट किया हुआ
आइडिया है यह अपने देश में,
और दिनोदिन लोकप्रिय भी हो रहा है,
सोसिअल स्वैप बोले तो
वस्तु विनिमय केंद्र,
जहां आप घर की फालतू वस्तुवे
आसानी से डंप कर सकते है !
सुनने में आया है कि
बंगलौर में ऐसे ही एक
वोमन सोसिअल स्वैप में,
बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
और चलते-चलते:-
अपना-अपना भाग्य !
आइडिया है यह अपने देश में,
और दिनोदिन लोकप्रिय भी हो रहा है,
सोसिअल स्वैप बोले तो
वस्तु विनिमय केंद्र,
जहां आप घर की फालतू वस्तुवे
आसानी से डंप कर सकते है !
सुनने में आया है कि
बंगलौर में ऐसे ही एक
वोमन सोसिअल स्वैप में,
बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
और चलते-चलते:-
28 comments:
sahi hi hai, faltoo cheejon ko kyon rakha jaaye ghar me..
bahut se bacchon ko is doggi par rashq ho raha hoga..
पश्चिम से इम्पोर्टेड आइडिया से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?
:-)
बेहतरीन, बहुत खूब! पश्चिम की उपभोक्तावादी दौड़ में दौड़ते दौड़ते पता नहीं हम कहाँ पहुंचेंगे???
गौदियाल जी, ध्यान रखिए कि इस आईडिये की भनक श्रीमति जी के कानों तक न पहुँचने पाए.....वर्ना कहीं ऎसा न हो कि :)
वोमन सोसिअल स्वैप में,
बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!...sachmuch...?...?.yadi aisa hai to pls ye baat hamaare ghar tak n pahuche.....
पण्डित जी कि बात पर गौर करना गोदियाल जी....
और हाँ...
चलते-चलते तो आज आप गजब ढा गए...
माँ है या आंटी दिमाग को घुमा गए...
कुंवर जी,
बहुत ही नसीबवाला कुत्ता है जी!
काश मनुष्य के बच्चों से भी ऐसा प्रेम होता!
सुसमाचार !
अब पतियों की कीमत बढ़ जायेगी........
is tarah ke idea, pashchim se hi aa sakte hain
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बच्चों को तो गोद में भी नहीं उठाते और यहां
पुराने पतियों की तो छुट्टी कभी भी हो सकती है
क्या-क्या आयडिये लाते हैं पश्चिम से
प्रणाम
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
पर
चित्र में तो कुत्ता (??) नज़र आ रहा है
हा हा!! मामला रिस्की होता जा रहा है. :)
चित्र बहुत बढ़िया छापा है।
बाकी तो किस्मत अपनी अपनी।
:) :) ...अभी भी वर्मा जी पूछ रहे हैं की चित्र में तो कुत्ता है.... हा हा हा
भारत में ऐसा नहीं होने वाला...निश्चिन्त रहिये...
हा हा हा ...
लगता है इटालियन अंग्रेज का असर लोगों के सिर चड़ कर वोल रहा है।
बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
अरे पति को सर पे चढा रखा है.....:)
05.06.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
गोदियाल जी आप ने तो कमाल का पोस्ट लगा दिया है।
वाह रे ज़माना! बच्ची जमीं पर कुत्ते को सर चढा लिया है।
इस तस्वीर में हमारे आज की तस्वीर झलकती है।
पश्चिम से इम्पोर्टेड आइडिया से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?
पश्चिम से इम्पोर्टेड आइडिया से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?
अच्छा है यह हमारे यहाँ नहीं खुला ।
नो कमेण्ट।
इस चित्र को देख कर मुझे हँसी नहीं आ रही है...
बच्ची पैदल चल रही है..और कुत्ता गोद में..??
वाह री ममता....तेरा जवाब नहीं....
हाँ नहीं तो..!!
लोग पकड़ नहीं सके पर मुझे साफ़ दिख रहा है कि ये फ़ोटो बनावटी है. अब सिर्फ़ ये बताइये कि कारस्तानी आपकी खुद की है या किसी और की?
:):)
अमीरों के कुत्तों की किस्मत तो वैसे ही अच्छी ही होती है ...!!
श्वानों को मिलता दुग्ध वस्त्र,
भूखे बच्चे अकुलाते हैं,
माँ की गोदी से चिपट चिपट,
जाड़े की रात बिताते हैं ।
..बहुत सी महिलाए
अपने पतियों को साथ लाई थी !!
..यह हुई न बात नहले पर दहला.
आप सब लोग मुझे क्षमा करें। किस्मत तस्वीर पर मुझे तीन बातें कहनी हैं। पहली तो यह है कि अगर तस्वीर ट्रिक से बनाई गई है तो कुछ कहने को नहीं बचा। (मुझे ऐसा नहीं लग रहा)। दूसरी बात कि आप तस्वीर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। तीसरी बात यह कि आप सबने इस बात को अनदेखा कर दिया कि यह संभव क्यों नहीं है। मैं समझता हूं कि कुत्ते के पैर में किसी वजह से कोई चोट लग गई होगी इसलिए वे उसे गोद में उठाए हुए हैं। कम से कम आज पर्यावरण दिवस के दिन तो आप सोच ही सकते हैं। हम हमेशा नकारात्मक ही क्यों सोचने में लगे रहते हैं।
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