वो अमृत तलाशा जा रहा है
जिससे कि इंसान, यानि
भ्रष्ट, कातिल, दुराचारी,व्यभिचारी
और इन सबका बाप राजनेता,
मरेगा नहीं, चिरजीवी हो जाएगा !
गर शरीर का कोई अंग
निष्क्रिय हो जाए कभी,
तो नया अंग उग आयेगा ,
अपने ही जैसा एक और
भ्रष्ट, निकृष्ट व कमीना चाहिए तो
क्लोनिंग की सुविधा भी मौजूद,
तरोताजा रहने की औषधी,
और बुढापा तो कभी नहीं आएगा !!
अभी जब इनके
घृणित, काले कारनामे देखता हूँ,
दिल को कम से कम
यह तस्सल्ली तो रहती है कि
यह दुराचारी ,
भला साथ क्या ले जाएगा ?
यों भी अब हो ही गया है वह मरने को !
मगर, अब मैं चिंतित हूँ ,
जब यह जानता है कि
इसे एक न एक दिन मरना ही है,
तब ये हाल है,
अगर यह चिरजीवी हो गया,
तो फिर क्या हाल होगा, कभी सोचा ?
इन बेहूदी खोपड़ी के
निठल्ले अमेरिकी वैज्ञानिकों को,
कोई और काम क्यों नहीं देते यारों, करने को !!
Thursday, June 3, 2010
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24 comments:
सचमुच सोच का विषय हैं गोदियाल साहब .
आज मेरी ये अंतिम टिप्पणियाँ हैं ब्लोग्वानी पर.
कुछ निजी कारणों से मुझे ब्रेक लेना पड़ रहा हैं .
लेकिन पता नही ये ब्रेक कितना लंबा होगा .
और आशा करता हूँ की आप मेरा आज अंतिम लेख जरूर पढोगे .
अलविदा .
संजीव राणा
हिन्दुस्तानी
यह अन्धे और बहरों की नगरी है!
बहुत सार्थक सोच है अगर सच में ऐसा हुआ तो बहुत बुरा होगा !
आपकी चिन्ता जायज़ है जी.....
कुंवर जी,
waah..........kya baat kahi hai.........badi gahri soch hai aur sahi hai...........aaj isi ki jaroorat hai.
विषय तो चिंता का ही है
पर हो सकता कि दिशा सकारात्मक हो
देश में रक्तबीजों की कमी है क्या...
वैसे परिवार की बात करें तो अमृत तो है ही ... नेहरू परिवार के पास तो कम से कम .. एक के बाद एक .. सन ४७ से राज कर रहे हैं ....
soch ki baat kahi...bahut hi sundar aur jaandaar kavita...
अगर यह चिरजीवी हो गया,
तो फिर क्या हाल होगा, कभी सोचा ?
....???/????....oh.
भ्रष्ट, कातिल, दुराचारी,व्यभिचारी
और इन सबका बाप राजनेता
badhiya.................
सच है..चिन्ता का विषय तो है...
पढ़ा है की महाभारत काल में विज्ञान अपने चरम पर था...आज भी वैज्ञानिक उतनी खोज नहीं कर पाए हैं...जब ऐसे अनाचारी होते हैं तो उनको खत्म करने के रास्ते भी होते हैं...जयद्रथ के बारे में आप जानते ही होगे....तो आप इतना भी चिंतित ना हों...अमरत्व ले कर कोई नहीं आया...
आपकी रचना सोचने पर मजबूर कर रही है..अच्छी प्रस्तुति
आपकी चिन्ता जायज़ है जी.....मैं भी चिंतित हूँ !!!
ऐसा अमरत्व वरदान नहीं अभिशाप है साहेब....
कहते हैं अश्व्धामा ...विश्व का प्रथम भ्रूण हत्यारा ..आज भी हिमालय की कंदराओं में भटक रहा है उसके माथे से मवाद रिसता है। ऐसा अमरत्व कौन चाहेगा?
बहुत अच्छी रचना.... अगर यह चिरजीवी हो गया,तो इस के बाप इसे मिलेगे... कोई कब तक सहे गा....एक दिन तो जागेगा इंसान, ओर वो दिन होगा इन का अंतिम दिन!!!!
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
आपकी चिन्ता जायज़ है
अगर यह चिरजीवी हो गया,
तो फिर क्या हाल होगा, कभी सोचा ?
बेशक बात तो चिंताज़नक है ।
सार्थक प्रस्तुति।
कल आपकी रचना चर्चा मंच पर होगी कृप्या देखें.
आभार
अनामिका
बुरे कर्म करने वाले अगर अमर हो गए तो फिर उन्हें अच्छा इंसान बनाने के लिए भी कोई न कोई उपाय खोजा ही जाएगा.... आशा है...
सच कह रहे हैं आप।
गोदियाल साहब, चिन्तित ना हों। भारत में यह तकनीकी आते-आते सदियां बीत जायेंगी।
aap ko jyada to nahi padha... par jitna bhi padha hai ..usme ye rachna sabse badhiya lagi ...... :)
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