सीने में संजोई तेरी याद, कैसे मैं भुला लूंगा,
तुम जितने मर्जी गम दो, मैं मुस्कुरा लूंगा,
गुजारिश बस इतनी है, तेरे चेहरे की रौनक न बुझे,
अपने हिस्से के आंसू मुझे दे देना, मैं बहा लूंगा !!
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खुशी सदा तेरे दर पे ठहर जाए, ये दुआ मांगता हूँ,
बस तेरी जिन्दगी संवर जाए, ये दुआ माँगता हूँ !
न कहीं जीवन सफ़र में अन्धेरा, कभी तेरी राह रोके,
तुझे हरतरफ रोशनी नजर आये, ये दुआ माँगता हूँ !!
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क्यों तूने इसतरह से पत्थर का बनाया मुझको,
मुहब्बत की सजा, ऐसी तो न दे खुदाया मुझको !
मैं सोने के वास्ते चिता पर करवटें बदलता रहा,
क्यों मौत ने न अपने सीने से लगाया मुझको !!
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डिटर्जेंट से भी जो न निकल पाए कभी
हमने रगड़-रगड़ के वो दाग निकाले है ,
आस्तीन में दोस्तों की छुपे बैठे हो जो,
बीन बजा-बजा के वो नाग निकाले हैं,
दिल में तुम्हे पढने की तमन्ना जगी तो
अंतरजाल पे ढूढ़-ढूढ़ के ब्लॉग निकाले है !
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तन्हा दिल को अपनों की बेरुखी मारती है,
मेरी आत्मा मुझको हरपल धिक्कारती है !
रंग बिखरे है पास कई सतरंगी-इन्द्रधनुषी,
किन्तु नजर एकटक शून्य को निहारती है !!
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साकी तेरे मयखाने में जाम पिया किसने,
सरे-गुलशन फूल को बदनाम किया किसने!
दिल तोड़ने से पहले ये तो पता किया होता ,
कि तुमसे ऐसा ये इंतकाम लिया किसने !!
Friday, June 4, 2010
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18 comments:
खुशी सदा तेरे दर पे ठहर जाए, ये दुआ मांगता हूँ,
बस तेरी जिन्दगी संवर जाए, ये दुआ माँगता हूँ !
आमीन
बहुत सुंदर जी, मंजनू ने भी इतनी सुंदर बात अपने लैला से नही कही होगी.... मन प्रसान्न हो गया
धन्यवाद
मैं सोने के वास्ते चिता पर करवटें बदलता रहा,
क्यों मौत ने न अपने सीने से लगाया मुझको !!
waah sirji prem me marne ko taiyaar hain....
अंतिम शे’र तो कमाल का है... बहुत बढ़िया.. सबकुछ समा दिया इसमें...
रचना मन को लुभा गई
सादर वन्दे !
नतमस्तक !
रत्नेश त्रिपाठी
मैं सोने के वास्ते चिता पर करवटें बदलता रहा,
क्यों मौत ने न अपने सीने से लगाया मुझको
-गज़ब!! वाह!!
शीर्षक आपने गलत लिख दिया....आपको शानदार शेर लिखना चाहिए था....
छिटपुट हैं लेकिन दमदार हैं \
छिटपुट हैं लेकिन दमदार हैं \
बहुत खूब सर जी !
मैं सोने के वास्ते चिता पर करवटें बदलता रहा,
क्यों मौत ने न अपने सीने से लगाया मुझको !!
वाह वाह!
क्यों तूने इसतरह से पत्थर का बनाया मुझको,
मुहब्बत की सजा, ऐसी तो न दे खुदाया मुझको !
मैं सोने के वास्ते चिता पर करवटें बदलता रहा,
क्यों मौत ने न अपने सीने से लगाया मुझको !!
सभी मुक्तक एक से बढ़कर एक हैं!
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और हाँ आपका व्यक्तित्व भी तो विविधआयामी है!
दुआएं फले फूलें ...
अच्छे लगे छिटपुट शेर ...
Vaah Goudiyaal saahab .. aaj to alag hat kar likha hai .. aapka shaayraana andaaz lajawaab hai ...
waah waah waah...........ek se badhkar ek sher hain.
बहुत बढ़िया....वाह..
.अपने हिस्से के आंसू मुझे दे देना, मैं बहा लूंगा !!
ये पंक्ति विशेष पसंद आई
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
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