इस कलयुग में,कम-से-कम दो का तो,
जन्नत पाना पक्का हो गया,
आज इन राम-भक्तो के लिए,
जिन्ना तो जैसे, मक्का हो गया !
पहले तो खूब जी भरकर,
बस हिंदुत्व का ही राग अलापा,
कन्याकुमारी से कश्मीर तक,
रथ चढ़ के राम का नाम जापा !
चढावे पे हाथ साफ़ कर चुके तो,
जाम रथ का चक्का हो गया,
आज इन राम-भक्तों के लिए,
जिन्ना तो जैसे, मक्का हो गया !
पहले लाल-हरे कृष्ण हो गए थे,
अबके हनुमान कर गया काम,
घर का भेदी ही लंका ढा गया,
अब तेरा क्या होगा, हे राम !
जिसे तराशा सांचे ढाल कर,
खोटा वह टक्का हो गया,
आज इन राम-भक्तों के लिए,
जिन्ना तो जैसे,मक्का हो गया !
Wednesday, August 19, 2009
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3 comments:
आज इन राम-भक्तों के लिए,
जिन्ना तो जैसे,मक्का हो गया !
क्या बात है गोदियाल साहब... भाई वाह...
अभी एक दो और आएंगे... इन्तेज़ार कीजिये...
पहले लाल-हरे कृष्ण हो गए थे,
अबके हनुमान कर गया काम,
घर का भेदी ही लंका ढा गया,
अब तेरा क्या होगा, हे राम !
बहुत अच्छी पंक्तिया कही अपने !!!!!!
जिन्ना का भूत अभी पीछ नहीं छोड़ने वाला
वाह ........क्या बात है गोदियाल साहब... आपकी कलम ने आज जादू कर दिया ...........
करार व्यंग है राजनीति पर ........ बी.जे.पी की .......
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