तस्वीर पर नजर गई तो एक पुराने शेर के साथ चंद शब्द गुनगुनाये बगैर न रह सका, आपसे अनुरोध है कि आप इसे कृपया अन्यथा न ले :
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(तस्वीर टाइम्स आफ इंडिया के सौजन्य से)
डूबते सूरज को, तू वक्त-ए-शाम देख,
हुश्न वाले, तनिक हुश्न का अंजाम देख !
राहें अनजानी हैं, अनजाना है कारवां,
तू अपनी राह पर मंजिले-मुकाम देख !!
हवा में बिखरी खुशबुओ को वे जब भी,
इस तरह अपनी साँसों में पाते रहेंगे !
फूल पर मंडराते कुछ दिलजले भंवरे ,
बिखरे चमन को, गुलजार बनाते रहेंगे!!
मौसम आये यहाँ कोई भी रंग बनके,
तू जहां के ढंग देख, इल्जाम देख !
डूबते सूरज को तू, वक्त-ए-शाम देख,
हुश्न वाले, तनिक हुश्न का अंजाम देख !!
2 comments:
एक दम सही अभिव्यक्ति...हुस्न वाले अगर ऐसा अंजाम देखने लगे तो हुस्न बदनाम न हो
लाजवाब अभिव्यक्ति है… सुन्दर रचना के लिये बधाई.
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