जली फिर से है दिल मे इक लौ नई
रिश्ता नया जोड़ा है इस आग ने,
बडी कशमकश मे हूँ इस बात की,
धुंआ रोशनी ने छोडा या चिराग ने ?
हैं कौन सी अजब ये उलझने,
सब्ज ये नया जोड़ा है इस बाग ने ,
बडी कशमकश मे हूं इस बात की,
धुंआ रोशनी ने छोडा या चिराग ने ?
है कौन सी राह दिखा रही रोशनी
सततता को तोडा है, किस राग ने,
बडी कशमकश मे हूं इस बात की,
धुंआ रोशनी ने छोडा या चिराग ने ?
इठ्लाने लगा फिर वह चाल-चलन
जिसे राह से मोडा है इक दाग ने,
बडी कशमकश मे हूं इस बात की,
धुंआ रोशनी ने छोडा या चिराग ने ?
क्यो किये है विचलित इस तरह
रिश्ता क्यो जोडा है इस भाग ने?
बडी कशमकश मे हूं इस बात की,
धुंआ रोशनी ने छोडा या चिराग ने ?
Saturday, May 2, 2009
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1 comment:
eh. bookmarked style!
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