देश में राजनीति के अखाडे का,
महा कुम्भ खत्म हुआ समझो,
मगर अब ध्यान से सुनलें,
जिन्हे जिताया है वो,
सनद रहे कि सबका है,
तुम्हारे ही बाप का नही यह देश,
और इसे धमकी न समझना,
समझो मतदाता का दृड़ सन्देश,
इसलिये चाबी सौंपी है तुम्हे,
कि चलाना राज जरा देखभाल के,
वरना अबके जूता मैने भी रख दिया
एक,तरतीब से संभाल के !
अब तक के सब नाकाम रहे,
किन्तु मेरा वाला न चूकेगा,
तुम्हारे सिर पर वार करेगा,
और मुह पर थूकेगा,
फर्ज के प्रति जबाबदेह बनोगे,
काम मे पारदर्शिता लावोगे,
देश खुशहाल गर बनेगा,
तभी खुद को खुशहाल पावोगे
मत बनाना मोहरा जनता को,
अपनी किसी शतरंज की चाल के,
वरना अबके जूता मैने भी रख दिया
एक,तरतीब से संभाल के !
Friday, May 8, 2009
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