काश ! अगर मै भी कवि होता
तुम्हारे इन मधुर स्वरो को
कविता के शब्द-रंगों में रंगता
काश ! अगर मै भी कवि होता
यदि होता बरसात का मौसम
हरा रंग विखराती धरती
ऊंची नीची पहाडियो से
निर्झर बह्ती कल-कल करती
यदि होता जाडे का मौसम
बर्फ़ गिरती आंगन मे झम-झम
सिकुड्न मेरे दिल मे होती
समा तेरी महफिल मे होती
यदि होता मौसम वसन्त का
संगीत उभरता मधुर कोयल का
फूल डगर मे बिखरे होते
महकती खुश्बू जागते सोते
यदि होता गर्मी का मौसम
खुले आंगन मे बैठ तुम और हम
हम गायक तुम होते श्रोता
काश! अगर मै भी कवि होता !
Monday, April 6, 2009
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1 comment:
Ati Sundar
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