प्रिय पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी,, आपके द्वारा मेरे पोस्ट संसद पर हमले की दसवीं बरसी: अफजल गुरू पर फॉसी के लिए अनशन क्यों नहीं? पर की गयी तीखी टिपण्णी के लिए धन्यवाद् आप ऐसे ही हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे तो हमारा उत्साह, विश्वाश के साथ ही विषयों की समझ भी बढ़ेगी. इसी बहाने आपके ब्लॉग पर भी आना हुआ. साहित्य के क्षेत्र में बहुत अछि पकड़ है आपकी. बहुत अच्छी रचनाये.. आपके निरंतर इसी तरह के सहयोग की अपेक्षा के साथ .. जय राम जी की
ऐसा कुछ भी ख़ास है नहीं बताने को, अपने बारे में ! बस, यों समझ लीजिये कि गुमनामी के अंधेरो में ही आधी से अधिक उम्र गुजार दी !हाँ, अपनी बात कुछ भगत सिंह जी के अंदाज में इस तरह कहूंगा ;
इन बिगड़े दिमागों में, ख्वाबों के कुछ लच्छे हैं,
हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।
साभार,
गोदियाल
My humble request is to kindly ignore the typographical errors.
My fondest wish is to inspire someone else to write something even better than I have done.
Look forward to receiving your creative suggestions.
regards,
Godiyal
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2 comments:
प्रिय पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी,,
आपके द्वारा मेरे पोस्ट संसद पर हमले की दसवीं बरसी: अफजल गुरू पर फॉसी के लिए अनशन क्यों नहीं? पर की गयी तीखी टिपण्णी के लिए धन्यवाद् आप ऐसे ही हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे तो हमारा उत्साह, विश्वाश के साथ ही विषयों की समझ भी बढ़ेगी.
इसी बहाने आपके ब्लॉग पर भी आना हुआ. साहित्य के क्षेत्र में बहुत अछि पकड़ है आपकी.
बहुत अच्छी रचनाये..
आपके निरंतर इसी तरह के सहयोग की अपेक्षा के साथ ..
जय राम जी की
bahut hi umda rachna hai....
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