छल-कपट है जिस जग में
अंहकार भरा हर रग-रग में !
उस जगत की सब चीजों को तू
एक ही तराजू से क्यों तोलता है ?
झूठ-फरेब भरी दुनिया में,
गोदियाल,तू सच क्यों बोलता है ?
जहां कदम-कदम पर मिथ्या धोखे
बंद हो गए सब सत्य झरोखे !
वहाँ इंसान को आज भला तू
अपने ही भाव क्यों मोलता है ?
झूठ-फरेब भरी दुनिया में,
गोदियाल, तू सच क्यों बोलता है ?
जहां निष्कलंक बन गई दीनता
है चहु दिश फैली मूल्यहीनता !
धूमिल पड़ चुके उस दर्पण में
सच्चाई को क्यों टटोलता है ?
झूठ-फरेब भरी दुनिया में,

गोदियाल, तू सच क्यों बोलता है ?
सब जी रहे है यहाँ भरम में
बचा न कुछ भी धरम-करम में !
इस कलयुग के कटु-सत्य को
सरे आम क्यों खोलता है ?
झूठ-फरेब भरी दुनिया में,
गोदियाल, तू सच क्यों बोलता है ?
26 comments:
itna sach na bolo kee akele rah jao,char aadmi chhod dena kandha dene ke liye.narayan narayan
जहां निष्कलंक बन गई दीनता
है चहु दिश फैली मूल्यहीनता !
सच यही है
मैं तो कहूँगा कि
गोदियाल जी सच बोलते हैं
सब जी रहे है यहाँ भरम में
बचा न कुछ भी धरम-करम में !
इस कलयुग के कटु-सत्य को
सरे आम क्यों खोलता है ?
झूठ-फरेब भरी दुनिया में,
गोदियाल, तू सच क्यों बोलता है ?
हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है| दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है| अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है। इसीलिए गोदियाल सच बोलता है।
अपने जमीर को जिंदा रक्खा है ,इसीलिये सच बोलता है ।
harishchandra ke jamaanane lad gaye sir....bahut hi sundar aur jhakjhorti prastuti...
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
Manoj ji ne bilkul sahi kaha hai............
झूठ-फरेब भरी दुनिया में,
गोदियाल, तू सच क्यों बोलता है ?
बहुत खूब, लाजबाब !
बहुत खूब गोदियाल साहब।
सच कहूँ तो कीमत चुकानी पड़े
न कहूँ तो सदा कसमसाते रहे
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
आप भी हमारी नस्ल के हो ...बड़ा दुःख उठाओगे ! हमारी हार्दिक शुभकामनायें !
गोदियाल जी यह बिल्कुल सच है कि झूठ बोलने वाले बहुत बढ़ गये है ..मगर सच को जानने वाले भी थोड़े बहुत है...बढ़िया विचार सुंदर कविता..धन्यवाद
गोदियाल, तू सच क्यों बोलता है ?
-यही तो मैं भी सोच रहा हूँ कि गोदियाल सच क्यों बोलता है??
bahut khoob
महान पोस्ट !!!
मेरे ताजे-ताजे ब्लॉग पर अवश्य पधारें
bahut khoob
आप जैसे लोगों की ही आवश्यकता है न कि झूठे और मक्कारों की.
shandar
bahut khub
यही तो मैं भी कहता हूँ
भाई गोदियाल तू सच क्यूँ बोलता है
हा हा हा हा ...........बढ़िया रचना ..........
वाह! बहुत खूब्!!
ईमान के पलडों में खुद को तौलता है
इसीलिए गोदियाल सच बोलता है।
बहुत खुब जी आज के युग मै तो सच बेचारा पिसता ही है
iska uttar bhi aapke andar se hi aayega....
बहुत की गम्भीर सवाल। पर कोई जवाब नहीं सूझ रहा।
सारी बातें पढ़कर लगता है कुछ झूंठ आप भी बोलते हो .....:)
...सांच को आंच कहाँ?
बहुत खूब सर!!! एक प्रश्न आप से
सच बोलना पाप है येसा है माहौल जंहा
तू सच क्यो बोलता है गोदियाल वंहाँ।।
सही है सच बोलना आम आदमी के लिए सबसे बड़ा अपराध है आज .......
Post a Comment