Sunday, January 17, 2010
तू निश्चिन्त रह, तू मेरा हिन्दुस्तान है !
आज लोभ का मारा इन्सान, बन बैठा हैवान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
माना कि कलयुग अपने चरम पे है,
पर पाप-पुण्य तो अपने करम पे है,
सतपुरुष सोचता है कि जान है तो जहान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
नेता-अफ़सर के भेष मे दिखता आदमी शैतान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
वह गवन की राह अपनायेगा ,
फिर भी कितना खा पायेगा?
खरीदेगा क्या? दो-चार कारें और मकान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
खुद को संत बताने वाला, देख कितना नादान है ,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
पाप के सागर मे डूबा रहता है,
खुद को जगत का बापू कहता है,
नियंत्रण रहता न अब उसका, अपनी जुबान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
सदियों से झेले यहां तूने, ये कुटिल बेईमान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
दास्ता के भूखे ये सभी नर-मुंड है,
गडरिये के बश आज भेडो के झुंड है,
स्वदेशी अश्व पर लगी फिर से विदेशी कमान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
तेरी विजय मे जयचंदों ने, डाले सदा व्यवधान है,
पर तू दुखी न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
उत्तर मे हिमालय तेरी भाल है,
दक्षिण मे समन्दर तेरी ढाल है,
उसका कोई क्या बिगाडेगा, जिसका भगवान है,
तू निश्चिन्त रह, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
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20 comments:
"उत्तर मे हिमालय तेरी भाल है,
दक्षिण मे समन्दर तेरी ढाल है,
उसका कोई क्या बिगाडेगा, जिसका भगवान है,
तू निश्चिन्त रह, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है!!"
बहुत सुन्दर!
इस हिन्दुस्थान के कारण हम सब निश्चिंत हैं। जब तक इस देश के आंचल में हम रह रहे हैं, हम सुरक्षित है। जब यह हम से छिन जाएगा तो पता नहीं हम फिर कहाँ जाएंगे?
bahut jandar baat hai.narayan narayan
बहुत सुन्दर !!
bahut sundar likha hai magar sath hi dard bhi chupa hai.
बहुत सुन्दर रचना है आभार
माना कि कलयुग अपने चरम पे है,
पर पाप-पुण्य तो अपने करम पे है,
सतपुरुष सोचता है कि जान है तो जहान है......
बहुत सुन्दर..
अच्छे भाव , अच्छा अंदाज ,सुंदर रचना
रचना अच्छी लगी।
माना कि कलयुग अपने चरम पे है,
पर पाप-पुण्य तो अपने करम पे है,
बस इसी आस और विश्वास में जिए जा रहे हैं।
सुन्दर रचना।
तेरी आस्तीन में बैठे
अनगिनत शैतान हैं ।
खडग उठा -संघर्ष कर
जय हिंद हिन्दुस्तान है ....
बहुत सुंदर रचना.
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
बहुत बढ़िया भाव..सुंदर कविता..सरल और सहज तरीके से बहुत सुंदर बात रखी आपने..धन्यवाद गोदियाल जी!!
तेरी विजय मे जयचंदों ने, डाले सदा व्यवधान है,
पर तू दुखी न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
उत्तर मे हिमालय तेरी भाल है,
दक्षिण मे समन्दर तेरी ढाल है,
उसका कोई क्या बिगाडेगा, जिसका भगवान है,
तू निश्चिन्त रह, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
वाह !! क्या खूब लिखा आपने !!
waah... sirf waah karne ko ji chaahta hai..
Tu to mera Hindostaan hai...
Jai Hind
सदियों से झेले यहां तूने, ये कुटिल बेईमान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
दास्ता के भूखे ये सभी नर-मुंड है,
गडरिये के बश आज भेडो के झुंड है,
स्वदेशी अश्व पर लगी फिर से विदेशी कमान है,
पर तू व्यग्र न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !!
इस हिदुस्तान से हमे बहुत प्यार है!
बहुत सुंदर रचना।
सौ में से नब्बे बेईमान,
फिर भी मेरा हिंदुस्तान महान...
जय हिंद...
उसका कोई क्या बिगाडेगा, जिसका भगवान है,
तू निश्चिन्त रह, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है ..
अगर हमारे नेता नही सुधरे तो पता नही ये हिन्दुस्तान भी हमारा कब तक रहता है ....... बहुत अच्छा व्यंग है जनाब ........
तेरी विजय मे जयचंदों ने, डाले सदा व्यवधान है,
पर तू दुखी न हो, तू तो मेरा हिन्दुस्तान है !
bahut khub....
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