लीजिये झेलिये ;
इस कदर करता तू,
किस बात पर अभिमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
यहां बीबी-बच्चे,
भाई-भतीजा, गांव-गदेरा,
जाना तय है और,
अन्तकाल मा कोई न तेरा,
फिर तुझमे किस बात का,
यों इतना गुमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
अच्छा और बुरा ,
इन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,
यही तो इस जगत का
सदियों पुराना विधान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
समय नही लगता यहां
पाप-पुण्य उलझने मे,
फर्क है कथनी और करने मे,
जिस ढंग से समझना चाहो
देर कहां, उसी ढंग से समझने मे,
भला करेगा तो भला होगा,
यही जीवन का सार और ज्ञान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
सत्य को पकड के रख
जरुरत से ज्यादा चिकना है यह
कब हाथ से फिसल जाये पता नही ,
इसलिये उसे जकड के रख,
यहां बर्गलाने को,
स्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
Monday, November 30, 2009
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18 comments:
सत्य को पकड के रख
जरुरत से ज्यादा चिकना है यह
कब हाथ से फिसल जाये पता नही ॥
बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है और सच्चाई बयान करती है!
"अच्छा और बुरा ,
इन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,"
सुन्दर!
किन्तु;
आज के जमाने में यदि
तू अच्छा करेगा
तो यह भी समझ ले कि
हरदम भूखा ही मरेगा
और यदि बुराई
के रास्ते को चुनेगा
तो निश्चय जान कि
जल्दी ही धनकुबेर बनेगा
यहां बर्गलाने को,
स्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
बहुत सुंदर,
लेकिन अवधिया जी अभी से ही बरगलाने लगे,
ये "रंडापा" काटने दे तो..............
बहुत अच्छा लिखा
बहुत सटीक और चिकना सत्य कहती रचना. एक एक शब्द बोल रहा है. नमन है आपको.
रामराम.
सार्थक व्यंग्य।
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भीड़ है कयामत की, फिरभी हम अकेले हैं।
इस चर्चित पेन्टिंग को तो पहचानते ही होंगे?
bahut hi badiya
वाह ज़नाब , पूरी गीता का सार प्रस्तुत कर दिया, चंद शब्दों में।
बधाई।
daarshnik rachna hai , achchha laga
अच्छा और बुरा ,
इन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,
सार्थक बातें सरल और सुन्दर ढंग से
हम्म्म
सहमत हूं
चलायमान न होती तो आज हम यहां नहीं पहुंचते
आप की बात से सहमत है जी
रचना जीवन की अभिव्यक्ति है।
यहां बर्गलाने को,
स्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
वाह्! गोदियाल जी, आपने तो इस रचना में गहरा दर्शन समेट डाला....
बहुत ही बढिया!!
मन विरक्ति से भर गया...धन्य हैं आप!!!
शानदार!
शानदार रचना !!
बहुत बढ़िया लगी यह रचना.....
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कृपया मेरी नई पोस्ट देखिएगा.....
BAHUT HI GAHRE BHAV.
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