नापाक जिन्दगी को कोई पाक न मिली,
दिल-ए-गम को हमारे कोई धाक न मिली !
दे पाये कहीं पर वास्ता, जिसके प्यार का,
बदकिस्मती कह लो कि वो इत्तेफाक न मिली !!
मुद्दतो से पाला था जहन में इक हसीं ख्याल,
कि लिखवाएंगे इक सुन्दर नज्म कभी तो!
ज्यूँ श्यामपट्ट, दिल टाँगे भी रखा सीने पर,
लिखने को मगर इक अदद चाक न मिली !!
लिखकर भेजे थे जो प्यार के चंद अल्फाज,
जिन्होंने इक कागज़ के टुकड़े पर कभी हमको !
उम्र गुजर गई ख़त की राह तकते-तकते,
मगर कम्वक्त अब तक हमको वो डाक न मिली !!
बड़ी सिद्दत से ढूंढ तो लाये थे एक सुन्दर सा,
हीरे मोतियों से जडा नथनियाहार उनके लिए !
और ख्वाबो में खूब सजाया भी उस मुखड़े पर,
हकीकत में सजा पाते, ऐसी कोई नाक न मिली !!
धूँ-धूँ कर जलता हुआ तो सबने देखा था यहाँ,
तेरा वो सुन्दर सपनो का आशियाना, गोदियाल !
मौका-ए-वारदात पर लाख तलाशा भी मगर,
अब तक वहाँ से तुम्हारी कोई ख़ाक न मिली !!
Thursday, October 29, 2009
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13 comments:
wah! bahut achcchi lagi yeh ghazal ..... dil ko chhoo gayi....
नापाक जिन्दगी को कोई पाक न मिली,
दिल-ए-गम को हमारे कोई धाक न मिली !
दे पाये कहीं पर वास्ता, जिसके प्यार का,
बदकिस्मती कह लो कि वो इत्तेफाक न मिली !!
in panktiyon ne to man hi moh liya....
बहुत सुगढ-सुंदर-सरल-सरस कविताई
आपको हार्दिक बधाई
उम्र गुजर गई ख़त की राह तकते-तकते,
मगर कम्वक्त अब तक हमको वो डाक न मिली !!
bahuton ko aisa intzar hai
बहुत अच्छी रचना है शुभकामनायें
धूँ-धूँ कर जलता हुआ तो सबने देखा था यहाँ,
तेरा वो सुन्दर सपनो का आशियाना, गोदियाल !
मौका-ए-वारदात पर लाख तलाशा भी मगर,
अब तक वहाँ से तुम्हारी कोई ख़ाक न मिली !!
आज मैने आपकी रचना मे संजीदाभाव को संजीदा श्ब्द मे सजते देखा ............और श्ब्द ही नही मिल रहे है इसको मै खुद मह्सूस कर पा रहा हूँ...........
वाह .. बहुत बढिया !!
मगर कम्वक्त अब तक हमको वो डाक न मिली ...
vaah godiyaal sahab .......... khoob samaa baandha है आपने .......... bhaavok बात को sahaj हो कर भी कह दिया .......... बहुत ही acchha लगा ......
ज्यूँ श्यामपट्ट, दिल टाँगे भी रखा सीने पर,
लिखने को मगर इक अदद चाक न मिली !!
दिल पर लिखने के लिए चाक की नहीं जज्बात की जरुरत है ..
ज्यूँ श्यामपट्ट, दिल टाँगे भी रखा सीने पर,
लिखने को मगर इक अदद चाक न मिली !!
बहुत ही सुन्दर! पर चाक की क्या बिसात जो लिख सके दिल से उपजे नज़्म को.
मुद्दतो से पाला था जहन में इक हसीं ख्याल,
कि लिखवाएंगे इक सुन्दर नज्म कभी तो!
ज्यूँ श्यामपट्ट, दिल टाँगे भी रखा सीने पर,
लिखने को मगर इक अदद चाक न मिली !!
kya baat hai.. bahut khoob..
आज तो गोदियाल साहब ने कहर ढा दिया..
बहुत बढिया !!
सब बोल गये, तब हम चले आ रहे हैं खरामा खरामा इतनी बेहतरीन रचना पर. धत है हम पर.
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