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गफलतों में भी दगा दिल से,
ऐ यार मत करना !
सलवटों में दबके रह जाए,
वह प्यार मत करना !!
मन निश्छल न हो,
छल चेहरे पे नजर आये !
इस तरह के प्यार का ,
तुम इजहार मत करना !!
फूलो को तेरे कदरदान,
खरीदने पर उतर आयें !
गुल-ऐ-गुलशन को यों ,
सरेआम बाजार मत करना !!
घर के द्वारे पे जो खुद ही,
टकटकी लगाए खडा हो !
ऐसे चाँद का हरगिज,
तुम दीदार मत करना !!
पनाहों में किसी की जब,
गुजर रही हो जिन्दगी !
फ़ुर्सत के उन हसीं लमहो में,
जीना दुष्वार मत करना !!
गफलतों में भी दगा दिल से,
ऐ यार मत करना !
सलवटों में दबके रह जाए,
वह प्यार मत करना !!
मन निश्छल न हो,
छल चेहरे पे नजर आये !
इस तरह के प्यार का ,
तुम इजहार मत करना !!
फूलो को तेरे कदरदान,
खरीदने पर उतर आयें !
गुल-ऐ-गुलशन को यों ,
सरेआम बाजार मत करना !!
घर के द्वारे पे जो खुद ही,
टकटकी लगाए खडा हो !
ऐसे चाँद का हरगिज,
तुम दीदार मत करना !!
पनाहों में किसी की जब,
गुजर रही हो जिन्दगी !
फ़ुर्सत के उन हसीं लमहो में,
जीना दुष्वार मत करना !!
8 comments:
फ़ुर्सत के उन हसीं लमहो में,
जीना दुष्वार मत करना
kya baat hai
मन निश्छल न हो,
छल चहरे पे नजर आये !
इस तरह के प्यार का ,
तुम इजहार मत करना !!
बहुत बढिया !
बहुत ही सुंदर कविता.
धन्यवाद
आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभ कामनायें
सलवटों में दबके रह जाए,
वह प्यार मत करना !!
बहुत भावमय रचना और खूबसूरत एहसास
वाह!! बहुत खूब!
फूलो को तेरे कदरदान,
खरीदने पर उतर आयें !
गुल-ऐ-गुलशन को यों ,
सरेआम बाजार मत करना !!!!
wah! bahut khoob..........
bada achcha laga padh kar..........
गफलतों में भी दगा दिल से,
ऐ यार मत करना !
सलवटों में दबके रह जाए,
वह प्यार मत करना !!
वाह क्या बात है....
बहुत बढ़िया लिखा है।
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर
आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
वाह, क्या बात है... आपका ऐसा मिजाज़ तो शायद पहली बार देख रहा हूँ... बहुत सुन्दर ..
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