तन्हाइयों संग ये जिन्दगी, यूँ ही कब तक चलती रहेगी,
इस घर में कब तक, आपकी गैर-मौजूदगी खलती रहेगी !
बहारें कहती है, बिन तुम्हारे वे भी न आयेगी चमन में,
आखिर कब तक जीवन लौ, यूँ स्नेह बिन जलती रहेगी !!
क्यूँ कर सताए है हमको हरदम, आपकी अनकही बाते,
यादों के पुरिंदे में कब तक, सुनहरी शामे ढलती रहेगी !
कहने को बहुत है मगर, कहे किससे अपना हाल-ए-दिल,
कब तक घुट-घुटके हमारी हस्ती,खाक में मिलती रहेगी !!
चले भी आओ इस जिन्दगी के अँधेरे को रोशन करने
वरना जीवनभर हमको, कमी तुम्हारी खलती रहेगी !
खुशिया और गम सब तुम्ही से, इन्तजार भी तुम्हारा है
तुम्हे पाने की ख्वाइश यूँही, दिल में सदा मचलती रहेगी !!
Saturday, June 6, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment