हे खुदा!
कर मुझी पे रहम इतना,
कि मेरी तकदीर,
वक्त-वेवक्त मुझसे,
हर इक बात पर मेरी रजा पूछे.
कि मेरी जिंदगी, मेरे हर गीत को,
वो नए अल्फाज़ दे
होकर मेहरबां, इस गले पर मेरे,
मुझे वो बुलंद आवाज दे
कि मंच पर माईक पकड़ क्षणिक,
मैं भी भौंक सकू !
व आँखों में किसी के धूल तनिक,
मैं भी झोंक सकू !!
मेरे निश्छल ने मुझे बेवकूफ, नालायक,
और न जाने क्या-क्या,
बचपन से ही कई उपनाम सुनाये,
दुनिया के मुख से,
उठते तूफां में हूँ इक 'दिया',
मेरे हौंसले को परवाज दे
हे खुदा ! मुझे भी छलने का कोई,
बढ़िया सा अंदाज दे
ताकि पाकर जनादेश जीत का पथिक,
मैं भी चौंक सकू!
व आँखों में किसी के धूल तनिक,
मैं भी झोंक सकू !!
फिर भर जाए तिजोरी मेरी,
लूट,खसौट और चंदे से,
रहम की भीख मांगे लोग,
आ-आकर इस बन्दे से
हे खुदा! अपार उस कुबेर के खजाने का,
मुझे वो राज दे
सालो उतरे न जो माथे से,
चमचमाता वो ताज दे
नोट अपने हाथो किसी को सार्वजनिक,
मैं भी सौंप सकू !
व आँखों में किसी के धूल तनिक,
मैं भी झोंक सकू !!
-गोदियाल
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
बेबफाई पे अपनी, जब कभी
तुम देने लगो सफाई
तो करना बातें कुछ ऐसी निराली
कि अंदाज पे तुम्हारे मैं भी चौंक सकू !
तलाश यूँ तो हमको भी है ,
उन कुछ अदद आँखों की,
जिनमे कुछ पल को ही सही,
मगर चुटकी भर धूल, मैं भी झोंक सकू !!
Friday, March 20, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment