देश की धड़कन दिल्ली में
हुमायु की कब्र के पास,
इक छोटे से उपवन में
बैठी थी एक कलि उदास !
कलि कुछ पल में खिलकर,
फूल बनने के दर पर थी,
उज्जवल भविष्य की चाहते,
ढेरों उसके मस्तिष्क पर थी !
तभी आ गया वहाँ का माली
उपवन के पौधों को पानी देने,
साथ में लिए अपनी घरवाली,
और लगा उससे यह कहने !
फलां नेता बीमार बड़ा है
बचने की उम्मीद क्षणिक है,
कबसे मृत्यु शय्या पर पड़ा है
उठ जाने की आशा अधिक है !
फूलो की मांग अधिक होगी
या खुदा ! कल धूप खूब खिले,
धूप से कलिया पोषित होंगी
और बगिया से ढेरो फूल मिले !
सहम गई वह कलि बेचारी
माली की सुनकर यह बात,
रोती थी देख स्व-लाचारी
दुआ करे वो, हो लम्बी रात !
मागने लगी आशीष खुदा से, प्रभु !
फिजा छादो मुझे न खिलने देना,
भ्रष्ट नेताओ के जनाजे पर, हे हरी !
हुमायु की कब्र के पास,
इक छोटे से उपवन में
बैठी थी एक कलि उदास !
कलि कुछ पल में खिलकर,
फूल बनने के दर पर थी,
उज्जवल भविष्य की चाहते,
ढेरों उसके मस्तिष्क पर थी !
तभी आ गया वहाँ का माली
उपवन के पौधों को पानी देने,
साथ में लिए अपनी घरवाली,
और लगा उससे यह कहने !
फलां नेता बीमार बड़ा है
बचने की उम्मीद क्षणिक है,
कबसे मृत्यु शय्या पर पड़ा है
उठ जाने की आशा अधिक है !
फूलो की मांग अधिक होगी
या खुदा ! कल धूप खूब खिले,
धूप से कलिया पोषित होंगी
और बगिया से ढेरो फूल मिले !
सहम गई वह कलि बेचारी
माली की सुनकर यह बात,
रोती थी देख स्व-लाचारी
दुआ करे वो, हो लम्बी रात !
मागने लगी आशीष खुदा से, प्रभु !
फिजा छादो मुझे न खिलने देना,
भ्रष्ट नेताओ के जनाजे पर, हे हरी !
फूल कोई न हरगिज डलने देना !!
3 comments:
अच्छी कविता है भाई... बधाई स्वीकारें...
Dhanyvaad, Yogender ji
बहुत अच्छी कविता लिखते हैं आप. गलतियों पर ध्यान नही दें, बस रचना सुन्दर होनी चाहिए. बधाई आपको.
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