tag:blogger.com,1999:blog-1554908954553593811.post7304981460507515234..comments2023-08-26T20:59:56.302+05:30Comments on My lyrics ( अंधड़ से संग्रहित काव्य ): बेदर्दी तू तो अंबर से है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1554908954553593811.post-35241763398159000352009-09-06T15:29:42.814+05:302009-09-06T15:29:42.814+05:30"गगन से रातों मे जब-जब , ये निर्मोही घन बरसे ..."गगन से रातों मे जब-जब , <br>ये निर्मोही घन बरसे है,<br>इक विरहा का व्याकुल मन, <br>पिया मिलन को तरसे है !<br>गर सूखा जगत तनिक, <br>रह भी जाता तो क्या नीरद,<br>तू क्या जाने दुख विरहन का, <br>बेदर्दी तू तो अंबर से है !!"<br><br>गोदियाल जी!<br>आपकी शिकायत वाजिब है। रचना बहुत सुन्दर है।<br>बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंकhttp://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1554908954553593811.post-59179881198500920402009-09-06T21:45:52.002+05:302009-09-06T21:45:52.002+05:30बहुत खुब प्रभावशाली लाजवाब रचना। बेहतरिन रचना के ल...बहुत खुब प्रभावशाली लाजवाब रचना। बेहतरिन रचना के लिए बधाई.......Mithilesh dubeyhttp://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com